Mathura Loksabha Seat: देश में लोकसभा चुनाव का शोर है, हर तरफ पार्टियों की तैयारियों की होड़ भी दिख रही है.इस बीच यूपी में सियासी माहौल भी काफी गर्म है. बात करें अगर यूपी की 80 लोकसभा सीटों की तो इन सभी सीटों पर सभी राजनीतिक दलों की बारीकी से नजर है. हर एक दल यहां पर अपना सिक्का आजमाने में जुटा हुआ है.
इसी 80 सीटों वाले यूपी के रण में एक सीट आती है, जो कन्हैया की जन्मभूमि से पहचानी जाने वाली मथुरा लोकसभा सीट है. अपनी इस प्राइम रिपार्ट में हम आपको यहां के राजनीतिक समीकरण के बारे में बताएंगे, कि आखिर कौन से दल ने इस सीट पर अपनी धाक जमाई और किस दल का यहां पर सफाया हुआ. साल 2009 में मथुरा लोकसभा सीट से जयंत चौधरी सांसद चुने गए थे तब बीजेपी और रालोद का गठबंधन था.कुछ यही आलम इस बार भी दिखने के आसार थे.जब रालोद बीजेपी के साथ आई.कयास इस बात का लगाया जा रहा था कि,जयंत चौधरी के नेतृत्व वाली रालोद इस सीट पर अपनी दावेदारी पेश कर रही है लेकिन बीजेपी की पहली लिस्ट में तस्वीर साफ हो गई और अभिनेत्री हेमा मालिनी को लगातार तीसरी बार टिकट देकर बीजेपी ने तमाम कयासों पर भी विराम लगा दिया।
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एक बार फिर हेमा मालिनी पर जताया भरोसा
बात सितंबर 1990 की है तब बीजेपी के खेवनहार लालकृष्ण आडवाणी ने राम जन्मभूमि के लिए रथयात्रा निकाली. इस यात्रा ने ब्रज को भाजपा के सूत्र में पिरो दिया था तब से भाजपा 6 बार लोकसभा चुनाव में यहां जीत दर्ज कर चुकी है और अब आगामी रण के लिए पार्टी ने 2 बार की सांसद हेमा मालिनी पर अपना भरोसा दिखाया है.24 के दंगल के लिए मंच तैयार है. मुकाबला बीजेपी और पार्टी की सांसद हेमा मालिनी से है जो लगातार अजेय रहीं हैं.
बीते चुनाव में उन्होंने निकटतम प्रतिद्वंद्वी रालोद के कुंवर नरेंद्र सिंह को करीब 3 लाख वोटों से पराजित किया था तब रालोद का सपा और बसपा से गठबंधन था.वहीं कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ी थी. 1957 में पहली बार मथुरा लोकसभा सीट पर चुनाव हुआ तब राजा महेंद्र प्रताप सिंह निर्दलीय चुनाव जीते.इस चुनाव का जिक्र इसलिए क्योंकि तब अटल बिहारी बाजपेई की जमानत जब्त हो गई थी तब से लेकर अब तक के चुनाव में बीजेपी ने 6 बार और कांग्रेस ने 4 बार जीत दर्ज की है. जबकि सपा-बसपा का कभी खाता ही नहीं खुला।
हेमा मालिनी तीसरी बार चुनावी मैदान में उतरी
हेमा मालिनी लगातार तीसरी बार मथुरा के चुनावी मैदान में उतरी हैं. 2 बार की सांसद रही हेमा मालिनी इस बार अधिक मजबूती के साथ प्रतिद्वंदी के सामने दमखम दिखाएंगी.इसका बड़ा कारण है इस बार सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी रालोद बीजेपी के साथ है जबकि बहुजन समाज पार्टी लोकसभा चुनाव में अपने दम पर चुनाव लड़ेगी. वहीं साइकिल पर बैठकर कांग्रेस इस चुनाव को पार करना चाहती है ऐसे में उसे लड़ाई बहुत मजबूती से लड़नी होगी। कन्हैया की जन्मभूमि, कर्मभूमि या यूं कहें कि,महाभूमि मथुरा तीन लोक से न्यारी है। महाभारत काल से ही इसकी धूल माथे से लगाकर लोग अपने को धन्य समझते हैं। भारत आजाद हुआ तो भी ये बड़े-बड़ों की कर्मभूमि बना.करीब 17 लाख वोटरों वाली इस लोकसभा सीट पर जाट, मुस्लिम ब्राह्मण वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
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