Hamirpur Lok Sabha seat: कानपुर और महोबा के बीच बसा है लाल रेत की भूमि वाला हमीरपुर जिला यहां की लोकसभा सीट भी इसी नाम से है। हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर से भ्रमित मत होगा 2011 की जनगणना के अनुसार यह महोबा और चित्रकूट के बाद यूपी का तीसरा सबसे कम जनसंख्या वाला जिला है। यमुना और बेतवा दो प्रमुख नदियां यहां मिलती हैं। यहां आजादी के बाद से कांग्रेस का दबदबा रहा. 1977 लोकसभा चुनाव के बाद थोड़ी हवा बदली. आखिरकार 1991 में राम लहर में भाजपा ने यहां कमल खिलाया. 1999 में आकर बसपा ने सीट छीनी, आगे सपा को भी मौका मिला लेकिन 2014 से भाजपा के पास हमीरपुर लोकसभा सीट है।
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जानें हमीरपुर का हाल..
साल 2014–
- कुं. पुष्पेंद्र सिंह चंदेल(भाजपा) 4,53,866 46.5
- विशम्भर प्रसाद निषाद(सपा) 1,87,095 19.2
साल 2019-
- कुं. पुष्पेंद्र सिंह चंदेल(भाजपा) 5,74,101 53.5%
- दिलीप कुमार सिंह(बसपा) 3,25,803 30.4%
पिछले दोनों चुनावों में भाजपा ने की थी जीत हासिल
दो सालों के नतीज़ों को देखकर ये तो साफ है कि यहां भाजपा लोकप्रिय है। पिछले दोनों चुनावों में भाजपा से पुष्पेंद्र सिंह चंदेल जीते. पिछली बार बसपा दूसरे और कांग्रेस तीसरे नंबर पर थी जबकि 2014 में सपा दूसरे स्थान पर थी. ऐसे में इस बार कांग्रेस से गठबंधन कर सपा को इस सीट से जरूर उम्मीदें होंगी उसने काफी पहले अपना उम्मीदवार भी घोषित कर दिया। यह भी जान लीजिए हमीरपुर के नेता अलग बुंदेलखंड राज्य की मांग उठाते रहे हैं। भाजपा सांसद ने भी एक साल पहले कहा था कि एमपी और यूपी के कुछ हिस्सों को अलग कर नया बुंदेलखंड राज्य बनाना चाहिए उनका तर्क था कि यह एक विशेष क्षेत्र है, जिसकी अपनी संस्कृति है, इस बार भी भाजपा ने पुष्पेंद्र सिंह चंदेल को ही टिकट दिया है।
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अलग राज्य की मांग क्या बनेगा मुद्दा
अलग राज्य बनाने का मुद्दा कितना गूंजेगा इस चुनाव में ये दिलचस्प है, लेकिन अटकलें है कि इस मुद्दे को विपक्षी दल ज़रुर भुनाएंगे ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि सपा-कांग्रेस का गठबंधन कोई भी मुद्दा छोड़ने वाला नहीं है, चाहे वो रोजगार का मुद्दा हो और जब हमीरपुर की हो तो अवैध खनन पर सियासत तो होनी ही है ।
यहां का समीकरण साधते हुए अपनी गल्तियों को सुधारते हुए PDA का नारा बुलंद करने वाले अखिलेश ने सपा -कांग्रेस के रुप में संयुक्त प्रत्याशी अजेंद्र सिंह राजपूत को चुनावी मैदान में उतारा है। उनके पिता जनसंघ और कांग्रेस से विधायक रहे हैं. 2022 के विधानसभा चुनाव में भी सपा ने अजेंद्र को टिकट दिया था लेकिन दूसरे दिन प्रत्याशी बदल दिया, इससे लोधी समाज में गलत मैसेज गया और सपा विधानसभा चुनाव यहां से हार गई थी।
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क्या कहता है हमीरपुर का जातीय समीकरण
- ब्राह्मण मतदाता- लगभग 9 प्रतिशत
- दलित मतदाता- लगभग 15 फीसदी
- मुस्लिम मतदाता- लगभग 13 फीसदी
- यादव मतदाता- लगभग 7 फीसदी
- लोधी मतदाता- लगभग 7 फीसदी
- क्षत्रिय मतदाता- लगभग 13 फीसदी
इस लोकसभा क्षेत्र में लगभग साढ़े 17 लाख से अधिक मतदाता है। इनमें पिछड़ी, और क्षत्रिय ब्राह्मण मतदाता की एकजुटता से चुनाव के समीकरण गड़बड़ा जाते है। इस बार तो सपा-कांग्रेस का PDA प्रयोग भी यहा किया गया है।अजेद्र सिंह राजूपत के आने से क्या बिगड़ेगा समीकरण।