Lok Sabha Election 2024: देश में 18वीं लोकसभा के लिए 19 अप्रैल से चुनाव शुरू होंगे और 1 जून तक 7 चरणों में मतदान संपन्न होगा। वहीं बस मोहरों के नाम का ऐलान होना है, फिर एक आखिरी जंग होगी, ये तय करने के लिए देश की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक कुर्सी पर क्या नरेंद्र मोदी तीसरी बार विराजमान होंगे या फिर देश की आवाम एक नई पटकथा लिखेगी, वहीं आज प्राइम टीवी की टीम पड़ताल करते हुए पहुंच चुकी है, फर्रुखाबाद लोकसभा सीट पर यहां की ब्लाक प्रिंटिंग की मांग अमेरिका ब्राजील और बहुत से यूरोपीय और एशियाई देशों में है।
ऐसे में जाहिर है कि यहां होने वाली सियासी हलचल महज इस जिले तक ही महदूद नहीं रहती, इस लोकसभा सीट पर बीजेपी ने एक बार फिर मुकेश राजपूत पर दांव खेला है। लोध बाहुल्य क्षेत्र होने और मोदी फैक्टर के चलते पिछले दो चुनावों में जिले का संसद में नेतृत्व करने वाले मुकेश राजपूत पर पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का हाथ रहा है। इस कारण मुकेश ने 2014 और 2019 के चुनावों में पार्टी की नैया पार लगाई…
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यही वजह है कि ..
- भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने तमाम आवेदकों का सपना तोड़ा
- सांसद मुकेश राजपूत पर एक बार फिर ऐतबार जाहिर किया
- 2019 में उन्होंने सपा-बसपा गठबंधन प्रत्याशी को हराया था
- मनोज अग्रवाल को 2 लाख 16 हजार वोटों से हराकर बड़ी जीत दर्ज की थी..
- बीजेपी का मुकाबला सपा के नवल किशोर शाक्य से होगा
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फर्रुखाबाद लोकसभा सीट पिछड़ा बाहुल्य सीट
साल 2019 में भाजपा के मुकेश राजपूत चुनाव जीते तो बसपा के मनोज अग्रवाल दूसरे नंबर पर रहे, वहीं कांग्रेस के सलमान खुर्शीद तीसरे नंबर पर रहे.. वहीं फर्रुखाबाद लोकसभा सीट पिछड़ा बाहुल्य सीट है, इस पर सर्वाधिक यादव, शाक्य, लोधी राजपूत मतदाता हैं। मौजूदा सांसद मुकेश राजपूत भी लोधी राजपूत हैं, ऐसे में जातीय समीकरण को देखते हुए मुकेश राजपूत से बेहतर कोई उम्मीदवार पिछड़ी जाति का बीजेपी को नजर आया, इसीलिए एक बार फिर बीजेपी ने मुकेश राजपूत पर दांव खेला है।
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BJP का गारंटी’या विपक्ष का दिखेगा दम?
वहीं समाजवादी पार्टी ने शाक्य वोटरों की तादाद को देखते हुए नवल किशोर शाक्य को मैदान में उतारा है। बताया जाता है कि नवल किशोर काफी वक्त से फर्रुखाबाद में सक्रिय हैं। ऐसे में नवल पर ऐतबार.. क्या बीजेपी से पा पाएंगे पार.. 17 लाख से अधिक वोटरों वाले इस लोकसभा इलाके से कांग्रेसी सलमान खुर्शीद 2009 में जीतकर संसद पहुंचे और मंत्री बने.. लेकिन कांग्रेस सत्ता से बेदखल हुई.. तो सलमान खुर्शीद भी अपनी सीट ना बचा पाए.. आलम ये रहा कि पिछले दोनों लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का झंडा लेकर मैदान में उतरे खुर्शीद को बीजेपी के हाथों मुंह की ही खानी पड़ी..