Uttar Pradesh Politics: लोकसभा चुनाव के बाद से उत्तर प्रदेश की सियासी हलचल तेज हो गई है। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बयानबाजी ने राज्य का सियासी पारा बढ़ा दिया है। इसी बीच, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) और दोनों उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) और बृजेश पाठक (Brijesh Pathak) दिल्ली पहुंच चुके हैं। योगी आदित्यनाथ का दिल्ली दौरा न केवल संगठन को मजबूत करने के उद्देश्य से है, बल्कि आगामी उपचुनावों की रणनीति पर भी गहन विचार-विमर्श करने के लिए महत्वपूर्ण है।
यूपी भाजपा का दिल्ली जमावड़ा
दिल्ली में सरकार के साथ यूपी बीजेपी का संगठन भी सक्रिय है। प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी (Bhupendra Chowdhary) और संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह भी दिल्ली में मौजूद हैं। नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक के बाद, यूपी बीजेपी के नेता केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकात कर सकते हैं। जानकारी के अनुसार, सीएम योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य, बृजेश पाठक, संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह और यूपी बीजेपी के अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी भी इस बैठक का हिस्सा बन सकते हैं।
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आरएसएस के दिग्गज भी दिल्ली में
इस बैठक में आरएसएस (RSS) के पूर्वी यूपी के क्षेत्र प्रचारक अनिल कुमार और पश्चिमी यूपी क्षेत्र प्रचारक महेंद्र शर्मा भी शामिल होंगे। उत्तर प्रदेश के सीएम और दोनों उपमुख्यमंत्री 27 और 28 जुलाई को दिल्ली में रहेंगे। इस दौरान वे नीति आयोग की बैठक के साथ-साथ बीजेपी के 7 वरिष्ठ नेताओं से भी मुलाकात करेंगे।
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प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात
सीएम योगी आदित्यनाथ के पीएम नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात करने की संभावना है। जानकारों का कहना है कि इस बैठक में संगठन को लेकर भी चर्चा हो सकती है। जमीन से प्राप्त फीडबैक, कार्यकर्ताओं की चिंताओं और भविष्य के रोडमैप को लेकर बात हो सकती है।
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उपचुनाव की तैयारियों में जुटे योगी
उत्तर प्रदेश में 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं। इस बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद कमान संभाल ली है और सभी तैयारियों का जायजा ले रहे हैं। इसके अलावा वे समीक्षा बैठक में विधायकों के मनोभाव और प्रस्तावों पर शीर्ष नेतृत्व से चर्चा कर सकते हैं। यह भी स्पष्ट है कि योगी आदित्यनाथ और उनके सहयोगी राज्य में बीजेपी की पकड़ को और मजबूत करने के लिए जी-जान से जुटे हुए हैं। ऐसे समय में, जब विपक्ष भी अपनी रणनीति तैयार कर रहा है, यह दौरा भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
इस सियासी उठापटक के बीच, उत्तर प्रदेश की जनता को यह देखना होगा कि क्या इस बार भी भाजपा अपनी पकड़ बरकरार रख पाएगी या विपक्ष के लिए कोई नई राह खुल पाएगी। लेकिन यह निश्चित है कि राजनीति के इस ड्रामे में रोमांचक मोड़ आने वाले हैं। सभी की निगाहें अब इस पर टिकी हैं कि दिल्ली में होने वाली इन बैठकों के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति किस दिशा में आगे बढ़ेगी। चाहे जो भी हो, एक बात तो तय है कि अगले कुछ दिनों में उत्तर प्रदेश की राजनीति में और भी दिलचस्प घटनाक्रम देखने को मिल सकते हैं।
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