Chandrayaan 3: भारत ने चंद्रमा पर रचा इतिहास। आपको बता दे कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) चंद्रमा के साउथ पोल पर चंद्रयान 3 की लैंडिंग ने अपनी प्रक्रिया को पूरा कर लिआ है। दक्षिण ध्रुव पर चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक लैंडिंग करने वाला भारत ऐसा दुनिया का पहला देश बना। वहीं चंद्रमा की सतह पर हिंदुस्तान से पहले चीन, अमेरिका और तत्कालीन सोवियत संघ सॉफ्ट लैंडिंग कर चुके हैं।
भारत हाल ही में अपने इतिहास रचने के करीब है। आपको बता दे कि भारत अपने चांद मिशन के बहुत करीब पहुंच चुंका है। भारत ने 14 जुलाई 2023 को चंद्रयान-3 मिशन को लॉन्च किया था। चंद्रयान-3 23 अगस्त को शाम 5: 47 बजे चंद्रमा की सतह पर उतरने की संभावनाएं जताई गई हैं। लैंडर की सफल लैंडिंग होने के बाद भारत एक नया इतिहास रचेगा। लैंडर की सफल लैंडिंग होने के बाद भारत दुनिया का पहला ऐसा देश होगा जो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करेगा।
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चंद्रयान- 3 उद्देश्य
इसरो के चंद्र अभियान का लक्ष्य चांद के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र में सॉफ़्ट लैंडिंग करने का है। इसरो ने सितंबर 2019 में चंद्रयान- 2 को चांद पर उतारने का प्रयास किया था लेकिन तब उसका विक्रम लैंडर क्षतिग्रस्त हो गया था। तब इसरो प्रमुख ने कहा था, “ऑर्बिटर से मिली तस्वीर से लगता है कि विक्रम लैंडर की चांद पर हार्ड लैंडिंग हुई है। चांद का चक्कर लगा रहे आर्बिटर ने विक्रम लैंडर की थर्मल इमेज ली है।”
किसी अंतरिक्ष यान के चांद पर दो तरह से लैंडिंग हो सकती है। एक है सॉफ़्ट लैंडिंग जिसमें अंतरिक्ष यान की गति कम होती जाती है और वो धीरे-धीरे चांद की सतह पर सफलतापूर्वक उतर जाता है। वहीं दूसरी लैंडिंग हार्ड लैंडिंग होती है इसमें अंतरिक्ष यान चांद की सतह से टकरा कर क्रैश हो जाता है।
कब लॉन्च हुआ-
चंद्रयान भारत का एक बहुत ही महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष प्रोजेक्ट है। 14 जुलाई 2023 को श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-3 ने उड़ान भरा। चंद्रयान-3 में प्रपल्शन मॉड्यूल, लैंडर और रोवर है। चंद्रयान-3 के प्रपल्शन मॉड्यूल को 3 से 6 महीने काम करने के लिए डिजाइन किया गया है। चंद्रयान-3 ज्यादा तेजी से चांद की तरफ बढ़ रहा है। चंद्रयान-3 के लैंडर में 4 थ्रस्टर्स लगाए गए हैं। करीब 40 दिन के सफर के बाद चंद्रयान-3 चांद की सतह तक पहुंच जाएगा।
कब और कहॉ पहुंचा
14 जुलाई 2023-
दोपहर 2:35 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से हुआ लॉन्च।
15 जुलाई 2023-
पहले ऑनबोर्ड थ्रस्टर्स फायर किए गए, जिसके बाद चंद्रयान 41762 किमी x 173 किमी कक्षा में पहुंच गया।
17 जुलाई 2023
दूसरी ऑर्बिट मेन्यूवरिंग की गई जिसके बाद अंतरिक्ष यान ऑर्बिट बदलते हुए 41603 किमी x 226 किमी कक्षा में पहुंच गया।
22 जुलाई 2023-
चौथी ऑर्बिट मेन्यूवरिंग की गई जिसके बाद यान 71351 किमी x 233 किमी की कक्षा में पहुंच गया।
25 जुलाई 2023-
यान की ऑर्बिट बदलने की एक और प्रक्रिया की गई।
1 अगस्त 2023-
अंतरिक्ष यान को ट्रांसलूनर ऑर्बिट में स्थापित किया गया है। हासिल की गई ये कक्षा 288 किमी x 369328 किमी है।
5 अगस्त 2023-
सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में स्थापित हो गया। इस दौरान आर्बिट 164 किमी x 18074 किमी हासिल की गई।
6 अगस्त 2023-
यान को चंद्रमा की सतह के और नजदीक भेजने की प्रक्रिया की गई। इसके बाद कक्षा घटकर 170 किमी x 4313 किमी रह गई है।
9 अगस्त 2023-
एक और प्रक्रिया के बाद कक्षा घटकर 174 किमी x 1437 किमी रह गई है।
14 अगस्त 2023-
ऑर्बिट सर्कुलाइजेशन फेज में पहुंचा. अंतरिक्ष यान की ऑर्बिट घटकर 151 किमी x 179 किमी हुई।
16 अगस्त 2023-
फायरिंग के बाद अंतरिक्ष यान 153 किमी x 163 किमी की कक्षा में पहुंचा।
17 अगस्त 2023-
लैंडर सफलतापूर्वक अलग हो गया. अब लैंडर मॉड्यूल खुद ही आगे की दूरी तय करने लगा. लैंडर मॉड्यूल में लैंडर और रोवर होते हैं।
18 अगस्त 2023-
इसका लैंडर मॉड्यूल डीबूस्टिंग (धीमा करने की प्रक्रिया) से गुजरते हुए चंद्रमा की थोड़ी निचली कक्षा में उतर गया. अब इसकी कक्षा 113 किमी x 157 किमी तक कम हो गई।
23 अगस्त 2023–
भारत ने चंद्रमा पर रचा इतिहास। चंद्रमा पर की Soft Landing .