Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश के मेरठ जनपद के एक सरकारी स्कूल में मिड डे मील के दौरान बच्चों को नॉनवेज खिलाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है. आरोप है कि वैद्यवाड़ा स्कूल के प्रिंसिपल मोहम्मद इकबाल ने हिंदू बच्चों को मिड डे मील के बजाय नॉनवेज खिलाया. इस घटना के सामने आने के बाद बच्चों के परिजनों में आक्रोश फैल गया और हिंदू संगठनों ने भी स्कूल में जमकर हंगामा किया.
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पुलिस ने प्रिंसिपल को लिया हिरासत में

इस मामले की जानकारी मिलते ही पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की और प्रिंसिपल मोहम्मद इकबाल को हिरासत में ले लिया है. परिजन बच्चों को लेकर थाने पहुंचे, जहां दोनों भाइयों से पूछताछ की गई. इसमें बड़ा भाई नॉनवेज खाने से इनकार करता है, जबकि छोटा दिव्यांग भाई, जिसे बोलने में कठिनाई होती है, उसने इशारों में नॉनवेज खाने की बात कबूल की. इस बीच पुलिस ने प्रिंसिपल से भी पूछताछ की, ताकि सच्चाई का पता लगाया जा सके.
बड़े भाई का बयान
आपको बता दे कि पीड़ित भाइयों में से बड़े भाई ने बताया कि उस दिन स्कूल में मिड डे मील के रूप में आलू-सोयाबीन की सब्जी दी गई थी, जो स्वाद में अच्छी नहीं थी. उसने सब्जी के साथ एक रोटी खाई, जबकि उसके छोटे दिव्यांग भाई ने दो रोटियां खाई. इसके बाद एक टीचर ने उससे कहा कि सब्जी अच्छी नहीं बनी है, इसलिए उन्होंने उसे 100 रुपये दिए और दुकान से मीट लाने के लिए कहा.
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मीट लाने के बाद की घटना

बड़ा भाई बताता है कि वह टीचर के कहने पर मीट लेकर आया. जब वह वापस आया, तो टीचर ने उससे पूछा कि क्या वह मीट खाएगा, लेकिन उसने मना कर दिया. फिर टीचर ने छोटे भाई से पूछा, और बड़े भाई ने कहा कि वह भी मीट नहीं खाएगा. इसके बावजूद टीचर ने छोटे भाई को मीट खिलाया. चूंकि छोटा भाई दिव्यांग है और ठीक से बोल नहीं सकता, उसने इशारों में बताया कि उसने कैसे मीट खाया.
घटना पर प्रतिक्रिया और जांच

इस घटना के बाद हिंदू संगठनों ने स्कूल में जोरदार प्रदर्शन किया. प्रिंसिपल मोहम्मद इकबाल के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं और स्थानीय समुदाय में इस घटना को लेकर तनाव व्याप्त है. पुलिस मामले की गहनता से जांच कर रही है और सभी पक्षों से पूछताछ कर रही है. इस मामले में सही तथ्यों का पता लगाने के लिए अधिकारियों द्वारा पूरी सतर्कता बरती जा रही है.
यह मामला न केवल स्कूल प्रशासन पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि बच्चों की धार्मिक भावनाओं और उनकी देखभाल की भी चिंता को उजागर करता है. पुलिस और स्थानीय प्रशासन की जांच के बाद ही सही तथ्यों का खुलासा हो पाएगा और दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी.
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