UP News: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बहराइच के मिहींपुरवा तहसील भवन का उद्घाटन किया।जहां सीएम योगी ने अपने संबोधन में महाराष्ट्र से औरंगजेब की कब्र को लेकर उठे विवाद पर विपक्ष पर पलटवार करते हुए आक्रांताओं का महिमामंडन न करने की चेतावनी दी। इसके साथ ही सीएम योगी ने विकास की दिशा में भी सरकार की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
आक्रांताओं का महिमामंडन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा-सीएम

सीएम योगी ने कहा कि,प्रदेश में आक्रांताओं का महिमामंडन कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।मुख्यमंत्री ने कहा,महापुरुषों का अपमान और आक्रांताओं का महिमामंडन देशद्रोह के समान है।सीएम योगी ने कहा,महाराज सुहेलदेव के पराक्रम के कारण 150 वर्षों तक कोई विदेशी आक्रांता भारत पर हमला करने का दुस्साहस नहीं कर पाया। उन्होंने आगे कहा कि,ऐसे आक्रांताओं को महिमामंडित करना स्वतंत्र भारत में किसी भी हाल में स्वीकार नहीं किया जा सकता।
मुख्यमंत्री ने बहराइच के विकास को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता को स्पष्ट किया।उन्होंने कहा,जिले में अच्छी कनेक्टिविटी सुनिश्चित करना उनकी प्राथमिकता है साथ ही हर तहसील में फायर स्टेशन की स्थापना का भी ऐलान किया।सीएम योगी ने कहा,बहराइच बाईपास की स्वीकृति दे दी गई है और नेपाल से कनेक्टिविटी को भी मजबूत किया गया है।
“किसानों के हितों की रक्षा करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध”
सीएम योगी ने कहा कि,सरकार किसानों के हितों की रक्षा करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही है।सीएम योगी ने कहा,सेटेलाइट तकनीक के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कोई भी गरीब किसान अपनी एक इंच भूमि भी न खोए इसके लिए सरकार ने आवश्यक कदम उठाए हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा,बालार्क ऋषि की तपोभूमि और वीर महाराजा सुहेलदेव की भूमि पर स्थित मिहींपुरवा तहसील भवन का उद्घाटन कार्यक्रम एक ऐतिहासिक अवसर था।तहसील में कार्यरत अधिकारियों के लिए आवास की व्यवस्था भी की जाएगी, ताकि वे यहीं रहकर जनसमस्याओं का त्वरित समाधान कर सकें।
सीएम योगी का विपक्ष पर जवाबी हमला

सीएम योगी ने अपने संबोधन में विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा,इस पावन धरा बहराइच को उसकी पहचान से वंचित करने का प्रयास हुआ था।पिछली सरकारें घोषणा करती थीं लेकिन कार्य नहीं हो पाते थे।मिहींपुरवा तहसील में आज तक भवन नहीं था जबकि एक सामान्य नागरिक के लिए सबसे ज्यादा कार्य तहसील से ही पड़ता है।भूमि संबंधी रिकॉर्ड हो, पैमाइश हो, वरासत की कार्यवाही हो, नामांतरण हो, बंटवारे का कार्य हो या फिर लैंड उससे जुड़ी हुई इन सभी मामलों के निस्तारण का केंद्र तो तहसील है। जब तहसील का अपना भवन ही नहीं होगा तो एक सामान्य राजस्व से जुड़े मामलों में क्या न्याय मिल पाएगा?
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