Saharanpur संवाददाता
Saharanpur : दिल्ली के इमाम चीफ़ मौलाना उमैर इल्यासी के राम मन्दिर प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने पर उनके खिलाफ कुछ मुफ्तियो द्वारा कुफ्र का फतवा दिये जाने पर राव मुशर्रफ अली ने कहा कि हमारे नबी ने फरमाया है देश से मुहब्बत आधा ईमान है। देश और इंसानियत सर्वोपरि है। धर्म, मजहब, जात, पात… ये सब छोटी चीज है। धर्म, पूजा पद्धति, ऊपर वाले को याद करने का तरीका भले ही अपने अपने अकीदे के हिसाब से होता है लेकिन किसी भी मजहब में यह नहीं सिखाया जाता है कि दूसरे धर्म की निंदा करो, मजाक उड़ाओ, या उन पर तशद्दुद करो।
यह सभी ईमान, इंसानियत, इस्लाम और वतन की तौहीन है। हमारा मुल्क, हमारी सभ्यता, हमारा संविधान नहीं सिखाता है आपस में बैर रखना। अगर कोई अलग धर्म का इंसान किसी अलग धर्म के इबादतगाह या पूजा स्थल पर चला जाए तो इसका मतलब यह कतई नहीं मानना चाहिए कि उसने अपना खुद का धर्म और मजहब छोड़ दिया है। क्या दूसरे की खुशी में शामिल होना जुर्म है। अगर यह जुर्म है तो फिर हर हिंदुस्तानी को यह जुर्म करना चाहिए राव मुशर्रफ अली ने कहा कि मैं खुद भी अपनी मर्जी से अयोध्या राम लला के दर्शन करने के लिए जाउंगा।
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“ईमान और इस्लाम इतना कमज़ोर है कि वो खतरे में आजाएगा?
मौलाना उमैर सहाब के खिलाफ जिसने भी फतवा दिया है वह अमन सुकून शांति और भाई चारा के खिलाफ है मुसलमानों के घर ईद और खुशी के मौके पर गैर मुस्लिम आते हैं, मुहब्बत का पैगाम देते हैं और खुशियों में शामिल होते हैं, खाते पीते हैं तो क्या उन गैर मुस्लिम का धर्म भ्रष्ट हो जाता है? किसी गैर मुस्लिम के गम में अगर हम शरीक होते हैं, मौत पर मातम छाया होता है, पूजा पाठ हो रहा होता है तो क्या मुसलमानों का दीन, ईमान और इस्लाम इतना कमज़ोर है कि वो खतरे में आजाएगा?
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मौलाना उमैर इल्यासी जी डरने और घबराने की जरूरत नहीं..
इसी तरह अगर उमेर इलियासी राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में शिरकत करने गए तो देश और इंसानियत का सम्मान करते हुए मान बढ़ाने गए। ऐसा कर के वो काफिर नहीं हो गए। उन्होंने कोई जुर्म नहीं किया। बल्कि इस देश की मिल्लत मोहब्बत संस्कृति को मजबूत करने का काम किया है। राव मुशर्रफ ने कहा कि मौलाना उमैर इल्यासी जी डरने और घबराने की जरूरत नहीं है मुस्लिम राष्ट्रीय मंच उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है।