Nirjala Ekadashi 2024 : निर्जला एकादशी साल की 24 एकादशियों में सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण मानी जाती है। वहीं हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में निर्जला एकादशी का व्रत किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से जातक को मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही इस एकादशी व्रत में पानी पीना वर्जित माना जाता है, इसलिए इसे निर्जला एकादशी कहते हैं।ऐसे में आइए जानते हैं निर्जला एकादशी का शुभ मुहूर्त और इसके नियम के बारे में..
Read more : Reasi में हुए हमले की पाक गेंदबाज Hasan Ali ने की निंदा,ऐसा क्या कहा ? जो यूजर्स कर रहे उनकी तारीफ..
जानें कब है निर्जला एकादशी का शुभ मुहूर्त?
- निर्जला एकादशी 2024 तिथि और व्रत आरंभ- 17 जून सुबह 04.43 मिनट से शुरू
- निर्जला एकादशी तिथि समापन- 18 जून 2024, सुबह 06.24 मिनट पर समापन होगा
Read more : टीम इंडिया ने अमेरिका को हरा कर Super-8 में बनाई जगह,7 विकेट से दी मात
व्रत पारण समय
- निर्जला एकादशी का व्रत पारण 19 जून 2024 को सुबह 05.24 से सुबह 07.28 मिनट के बीच किया जाएगा
Read more : मुश्किल में फंसे क्रिकेटर से सांसद बने Yusuf Pathan..नगर निगम ने जारी किया अतिक्रमण का नोटिस
निर्जला एकादशी व्रत नियम
बीमार, गर्भवती महिला, बूढ़े व्यक्ति जो दिनभर भूखे-प्यासे नहीं रह सकते हैं, उन्हें इस व्रत में खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। जिन लोगों के लिए भूखे-प्यासे रहना मुश्किल है, वे व्रत में फलों का, दूध का सेवन कर सकते हैं।
Read more : बारिश ने Pakistan के अरमानों पर फेरा पानी..अमेरिका ने सुपर 8 में मारी एंट्री
जानें दान का महत्व
आपको बता दें कि इस दिन पर जल का दान करने से पूर्वजों की आत्मा को तृप्ति मिलती है। इसके अलावा आपकी आर्थिक संकट, गृह क्लेश, रोग आदि से दूर होती है। वहीं जिन लोगों की कुंडली में शनि दोष चल रहा है उन्हें निर्जला एकादशी पर पीपल में जल अर्पित कर सकते है। इससे शनि प्रसन्न होते हैं।
Read more : England ने नामीबिया के खिलाफ शानदार जीत हासिल की, हैरी ब्रूक रहे इस मैच के हीरो
निर्जला एकादशी व्रत का महत्व
साल की सभी एकादशी में निर्जला एकादशी सबसे कठिन माना जाता है। इसमें अन्न के साथ ही जल का त्याग करना पड़ता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, निर्जला एकादशी का व्रत और विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करने से मोक्ष और दीर्घायु का वरना मिलता है। वहीं जो श्रद्धालु साल की सभी चौबीस एकादशियों का उपवास करने में सक्षम नहीं है वे केवल निर्जला एकादशी का व्रत रखकर से दूसरी सभी एकादशियों का लाभ पा सकते हैं।