Tongue Cancer: कैंसर शब्द सुनकर भी लोग डर जाते हैं जो शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि,जीभ का कैंसर क्या है? जीभ का कैंसर एक तरह से मुंह के कैंसर का ही एक प्रकार है। इसमें रोगी की जीभ में असामान्य कोशिकाएं ग्रोथ करने लगती हैं और उस जगह पर घाव या ट्यूमर बन जाता है। यह सिर और गर्दन के कैंसर की श्रेणी में आता है। आमतौर पर यह जीभ की शल्की कोशिकाओं (squamous cells) में विकसित होता है। इसका प्रमुख लक्षण लक्षण घाव का बनना है जो एंटीबायोटिक क्रीम लगाने के बाद भी ठीक नहीं होता है और दर्द भी होता है।आइए जानते हैं इसके प्रकार, लक्षण, कारण और इलाज……
कितने प्रकार का होता है जीभ का कैंसर?
जीभ के दिखने वाले हिस्से का कैंसर : इसके अन्तर्गत जीभ का वह हिस्सा आता है जो हमें दिखाई पड़ता है या फिर हम जितनी जीभ मुहं से बाहर निकाल सकते हैं, उस हिस्से को इसमें शामिल किया जाता है। अगर जीभ के इस हिस्से में कैंसर होता है तो वह जल्दी पकड़ में आ जाता है एवं उसे निकाला भी जा सकता है। इस प्रकार का कैंसर प्राथमिक स्तर पर ही मालूम चल जाता है।
जीभ के पिछले हिस्से का कैंसर : इस प्रकार के कैंसर में जीभ का वह भाग सम्मिलित होता है जो आमतौर पर हमें दिखाई नहीं पड़ता। यह जीभ के पिछले भाग या गले की तरफ होता है ऐसे में इसकी पहचान एवं उपचार जटिल होता है। इस प्रकार का कैंसर गंभीर अवस्था में आने के बाद ही मालूम चलता है।
Read More: “अपराध को बढ़ावा दिया जा रहा है..विमानों को बम धमकी मामले में ‘एक्स’ को मोदी सरकार की फटकार
इसके प्रमुख लक्षण क्या हैं?
जीभ पर लाल या सफेद धब्बे हो जाना, जो लंबे समय तक बने रहे।
जीभ पर छाले होना, जिनका बने रहना।
मौखिक गुहा में सुन्नता।
जीभ पर गांठ बन जाना।
लम्बे समय तक गला बैठना।
कान का दर्द ठीक नहीं होना।
गर्दन में गाँठ महसूस होना।
जबड़े में सूजन का आना।
गांठ को छूने या काटने की कोशिश करने पर उसमें खून आना।
निगलते समय दर्द होना।
लगातार गले में खरास।
खाने और निगलने में कठिनाई।
बोलने में समस्या।
सांस लेने में दिक्कत।
क्या हो सकते हैं इसके कारण?
अगर बात करें इसके कारणों की तो अभी इसके सटीक कारणों की खोज नहीं हुई है। आपको बता दे कि,जीभ का कैंसर तब होता है जब कुछ कोशिकाएं असामान्य रूप और अधिक तेजी से विकसित होने लगती है। ऐसे कई कारक हैं जो कैंसर का कारण बनते हैं।
धूम्रपान ।
शराब पीना।
एचपीवी संक्रमण।
दांतों के खुरदरेपन से होने वाली परेशानी।
डेंटल फिलिंग पदार्थ का जीभ पर पड़ जाना।
नकली दांतों का सही से नहीं लग पाना।
जीभ के कैंसर से बचाव के उपाय
नियमित स्वास्थ्य जांच
धूम्रपान का सेवन नहीं करना
पौष्टिक आहार लेना
मुंह की सफाई रखना
एचपीवी का टीका लगवाना
कैंसर का इलाज क्या है?
आमतौर पर कैंसर वाले ऊतक को हटाने के लिए सर्जरी की जाती है।सर्जन ऑपरेशन कर छोटे ट्यूमर को हटाते हैं लेकिन अगर बड़े ट्यूमर हैं या कैंसर अधिक फैल गया है तो बड़े ऑपरेशन करने पड़ सकते हैं। कुछ मामलों में सर्जन को जीभ के हिस्से को हटाने की भी आवश्यकता पड़ सकती है।जीभ के कैंसर को ठीक करने के लिए ऑपरेशन के अलावा थैरेपी भी की जाती है जो इस प्रकार हैं।
कीमोथैरेपी
रेडिएशन थैरेपी
टार्गेटेड ड्रग थैरेपी
Read More: WhatsApp पर आए नए फीचर्स, अब यूजर्स को होगी Contact सेव करने में आसानी…
आयुर्वेद में जीभ के कैंसर का इलाज संभव!
भारतीय संस्कृति में आयुर्वेद कई ऐसे रोगों के निदान का मुख्य साधन रहा है। जिसे ठीक करना बहुत मुश्किल है पर आयुर्वेद में ऐसी कई विधाएं और जड़ी बूटियां मौजूद हैं जिससे न ठीक होने वाले रोगों का भी निदान संभव हो पाया है। आयुर्वेद में ऐसी कई जड़ी बूटियां हैं जिसके खाने से न केवल कैंसर को बढ़ने से रोका जा सकता हैं बल्कि इससे रोग के निदान में भी मदद मिल रही है।
आटा कैंसर से दिलाए निजात
वर्तमान में राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में स्थित नवग्रह आश्रम द्वारा पवतान् कैंसर केयर आटा तैयार किया गया है जो कि आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां का संग्रह हैं।पवतान् कैंसर केयर आटा कैंसर रोगी को कैंसर से लड़ने में मदद करता है एवं रोग के निदान में भी सहायक है।