Autistic Pride Day 2023: ऑटिज्म प्राइड़ ड़े को हर वर्ष 18 जून को मनाया जाता है। ऑटिज्म नामक बीमारी अधिकांश बच्चों में पायी जाती है। जिनकी उम्र जन्म से 2 वर्ष तक में पायी जाती है। इस बीमारी से ग्रसित बच्चे न तो ठीक से सुन पाते है और न ही बोल पाते है। माता पिता के आवाज देने पर बच्चे न बोलता है और न ही इशारा करता है। तो ऐसी स्थिति मे डाॅक्टर की सलाह ले।
डाॅक्टरों का कहना है कि अगर बच्चे के जन्म के दो साल तक अगर किसी तरह से इशारा नही करे तो वह ऑटिज्म के लक्षण हो सकते है। ऐसे परिस्थितियों मे अपने बच्चों को किसी चिकित्सक से दिखाना चाहिए। क्योंकि अगर सही समय पर ऑटिज्म नामक बीमारी की पहचान हो जाये तो काफी हद तक इसे ठीक किया जा सकता है। सही समय से इलाज मिलने पर रोगी की जिन्दगी को और बेहतर बनाया जा सकता है। आटिज्म रोगी के बच्चों को बिहेबियर व थेरपी सहित अन्य तरह की थेरेपी देकर इलाज किया जाता है।
जाने ऑटिज्म प्राइड़ -डे का इतिहास…
हेनरी कैवेडिश एक प्राकृतिक दर्शानिक थे। जो पहली बार 1966 में प्रकाशित हुआ था। अपने जीवन के दौरान कैवेंड़िस को सनकी माना जाता था। और उनके व्यवहार को ‘‘अजीबोगरीब शर्मीली‘‘ के रूप में वर्णित किया गया था। वर्ष 2001 में जर्मन न्यूरोलाॅजी के एक लेख के लिए एक विषय के रूप में कैवेंड़िश पर शोध करते समय न्यूरोलाॅजिस्ट ओवर सैक्स ने निर्धारित किया।
भेदभाव को रोकने के लिए मनाया जाता है ऑटिस्टिक प्राइड ड़े
बताते चले इस बीमारी से ग्रसित बच्चे सामान्य बच्चों की भाॅति नही होते है। जिससे परिवार के लोग बच्चे मे मनोविकार को समझ नही पाते है, और फिर यह बीमारी बड़ा रूप ले लेती है। इसीलिए इस बीमारी से बचने के लिए समाज को जागरूक करने का प्रयास किया। इससे आटिज्म से ग्रसित बच्चे और सामान्य बच्चों में कोई भेदभाव न हो।
जानें ऑटिज्म बीमारी से क्यों नही बोल पाते बच्चे…
मनोचिकिस्तक ने बताया कि आटिज्म से बच्चें के मस्तिष्क विकास मे उत्पन्न बाधा संबधी विकार है। ऑटिज्म से ग्रसित बच्चें सामान्य बच्चों से अलग स्वंय मे खोये रहते है। आटिज्म से पीड़ित हर बच्चों मे अलग- अलग लक्षण पायें जाते है। इस बीमारी से लगभग 40 फीसदी तक बच्चें बोल नही पाते है। औसतन 100 मं से 1 बच्चा ऑटिज्म से ग्रसित होता है। जिनका मानसिक विकास नही हो पाता है।
ऑटिज्म के लक्षणः
- जन्म से दो साल तक बच्चों का नही बोलना
- माता पिता के बुलाने पर न सुनना
- समूह मे खेलना पसंद न करना
- गले मिलने से अस्वीकार करना
- खिलौने बजाने पर न सुनना
- नाम बुलाने पर उत्तर न देना
- भाषा के विकास में विलम्ब होना
- एक ही चीज को बार बार दोहराना
- मानसिक अवसाद में बने रहना
- न बोलना न सुनना न इशारा करना
ऑटिज्म के इलाजः
वैसे तो ऑटिज्म का कोई इलाज नही है। लेकिन जल्दी उपाय शुरू करने से बच्चे के व्यवहार , बोलने- सीखने की क्षमता मे सुधार किया जा सकता है। ऑटिज्म के इलाज बच्चों के ड़ाॅक्टर, डेवलपमेंटल, न्यूरोलाॅजिस्ट, स्पीच थेरेपीच इत्यादि टीम वर्क से बच्चों को सही किया जा सकता है। कुछ ब्रेन टाॅनिक, आयरन , आयरन सप्लीमेंट्रस, बायोटिन विटामिन से सुधार ला सकते है।