छत्तीसगढ़ के रायपुर में आईएएस अधिकारी रानू साहू के खिलाफ ईडी ने कार्रवाई की है। शुक्रवार को ईडी की टीम में रानू साहू समेत कई अधिकारियों और नेताओं के यहां छापेमारी की थी। छापेमारी के बाद रानू साहू को अरेस्ट किया गया है और कोर्ट में पेश किया गया है।
IAS Ranu Sahu: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शनिवार को छत्तीसगढ़ में आईएएस अधिकारी रानू साहू को गिरफ्तार कर लिया। रानू साहू कोरबा जिले की पूर्व कलेक्टर रह चुकी हैं। कोयला घोटाले में उनकी कथित संलिप्तता को लेकर ईडी पहले ही उनके खिलाफ केस दर्ज करते हुए 20 करोड़ रुपए से अधिक की प्रॉपर्टी अटैच कर चुकी है। ईडी ने धन शोधन के एक मामले में जांच के तहत छत्तीसगढ़ में आईएएस के कुछ अधिकारियों और कांग्रेस के एक नेता और हवाला ऑपरेटरों के परिसरों पर शुक्रवार को छापेमारी की थी।
कोर्ट में 1 घंटे तक चली बहस…
बताते चलें कि शुक्रवार को ईडी ने रायपुर के ऑफिसर्स कॉलोनी में रानू साहू के बंगले में दबिश दी थी। इसके बाद सुबह 11 बजे के आसपास ईडी ने रानू साहू को गिरफ्तार कर रायपुर के स्पेशल कोर्ट में पेश किया। एक घंटे की दलील के बाद कोर्ट ने ईडी को 3 दिन की रिमांड दे दी। इसके बाद रानू साहू के बचाव पक्ष के वकील फैजल रिजवी ने मीडिया से बातचीत कर ईडी की कार्रवाई पर सवाल उठाया है। वहीं ईडी के वकील ने रानू साहू पर पूछताछ के दौरान सहयोग नहीं करने का दावा किया है।
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कई और नेताओं और आईएएस अधिकारियो के ठिकानों पर छापा…
इसके अलावा बिलासपुर के सप्लायर संजय शिंदे, अंबिकापुर के अशोक अग्रवाल और राजनांदगांव के आदिमजाति कल्याण विभाग के सहायक आयुक्त श्रीकांत दुबे के यहां भी जांच पड़ताल चल रही है। इनमें कई नेताओं और अधिकारियों के घर के बाहर सीआरपीएफ के जवान भी तैनात नजर आए हैं।
जानिए कौन हैं आईएएस अधिकारी रानू साहू…
साहू राज्य की दूसरी आईएएस अधिकारी हैं, जिन्हें इस मामले में गिरफ्तार किया है। 2010 बैच के छत्तीसगढ़-कैडर के आईएएस अधिकारी साहू वर्तमान में राज्य कृषि विभाग के निदेशक के रूप में तैनात हैं। इस पोस्टिंग से पहले वह कोयला समृद्ध कोरबा और रायगढ़ जिलों के कलेक्टर के रूप में कार्य कर चुकी थीं।
माता-पिता की अर्जित संपत्ति की गई जब्त…
इससे पहले रानू साहू के अधिवक्ता फैजल रिजवी ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘साहू को 22 अक्टूबर से 23 जनवरी के बीच जब-जब बुलाया गया है, उन्होंने जांच में पूरा सहयोग किया है। साहू की गिरफ्तारी फर्जी आधार पर की गई है। कोई भी ऐसा तथ्य नहीं है, जो साबित करता हो कि साहू इसमें शामिल हैं। जो संपत्ति कुर्क की गई है वह उनके माता-पिता की है और वह 2019 से पहले की अर्जित है। जबकि ईडी ने जिस अपराध की बात कही है वह 2020 की है।