Rupee-Dollar : डॉलर के मुकाबले रुपए में लगातार गिरावट जारी है। शुक्रवार को शुरुआती कारोबार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 46 पैसे टूटकर अभी तक के निचले स्तर पर पहुंच गया। इसके बाद एक डॉलर का मूल्य 85.73 रुपए के बराबर पहुंच गया। यह रुपए में एक दिन में सबसे बड़ी गिरावट है।
जानकारों की माने तो महीने और साल के अंत में आयातकों द्वारा डॉलर की बढ़ती मांग के कारण डॉलर में मजबूती देखने को मिली है। हालांकि वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में नरमी और घरेलू इक्विटी बाजारों से सकारात्मक संकेतों ने रुपए के गिरावट को सीमित कर दिया।
रुपए में गिरावट का कारण
रुपये में गिरावट के कई कारण हैं। सबसे पहला कारण- नॉन डिलीवरेबल फॉरवर्ड्स (NDF) मार्केट में डॉलर की मांग ने भारतीय रुपये पर दबाव डाला। इस बाजार में डॉलर और रुपये की बिक्री की प्रक्रिया ने रुपये के मूल्य को और गिरा दिया। दूसरा कारण – अमेरिकी नीति में संभावित बदलाव जैसे – ब्याज दरों में वृद्धि, के कारण डॉलर की मांग में बढ़ोत्तरी हुई और रुपये की गिरावट को बल मिला। इसके अतिरक्त भारत की आर्थिक प्रबंधन नीतियां भी इस गिरावट को प्रभावित कर रही हैं। वैश्विक महंगाई और आर्थिक अनिश्चितताओं को लेकर भारत सरकार और केंद्रीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को विचार करना चाहिए।
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रुपये में गिरावट से आगामी चुनौतियां
डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था पर कई प्रकार के दबाव बढ़ सकते हैं। इसकी वजह से आयात महंगा हो जाएगा, विशेष रूप से तेल और आवश्यक वस्तुओं के आयात पर विशेष असर पड़ेगा। जिसकी वजह से महंगाई बढ़ सकती है। इसके साथ ही इस गिरावट से विदेशी निवेशकों में अनिश्चितता का माहौल हो सकता है, जो भारत में निवेश को प्रभावित कर सकता है।
डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत 86 रुपए से भी नीचे जाने की संभावना है। मार्च तक इस स्तर तक गिरने की आशंका है। इस वर्ष अभी तक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में तीन फीसदी की गिरावट दर्ज हो चुकी है। शुक्रवार को बाजार खुलने के साथ ही 85.73 रुपए के ऐतिहासिक गिरावट पर पहुंच गया। इसके बाद रुपए में गिरावट जारी है।