शिक्षण संस्थानों, स्कूल, कॉलेजों और यूनिवर्सिटी के बाहर नशा बेचने वालों के खिलाफ पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सख्त रुख किया है। वहीं, तीनों राज्यों को आदेश दिए हैं कि किसी भी होटल, रेस्टोरेंट और बार में नाबालिगों को शराब न परोसी जाए।
Punjab: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब, हरियाणा व चंडीगढ़ के शिक्षण संस्थानों, स्कूल, कॉलेजों और यूनिवर्सिटी के बाहर नशा बेचने वालों के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार किया है। हाईकोर्ट की तरफ से पुलिस और एंटी नारकोटिक्स सेल को आदेश दिए गए है, कि वो उन जगहों की पहचान करें जहां से नशा बिकने की शिकायतें लगातार आ रही है। इसके बाद नशा तस्करों की कमर तोड़ने के लिए मिलकर कार्रवाई करें। वही कोर्ट ने राय दी है कि डी-एडिक्शन सेंटर के स्टाफ को ट्रेनिंग दी जाए ताकि वह रोगियों के प्रति संवेदनशील रहें।
जेल में भी हो नशे की जांच…
हाईकोर्ट ने आदेश में कहा है कि जेलों में नशे के कारोबार की लगातार शिकायतें मिलती रही हैं। इसे देखते हुए जेल में स्निफर डॉग्स की तैनाती की जाए, ताकि यहां आने वाले हर व्यक्ति और सामान की जांच हो सके और पता लगाया जा सके कि ड्रग्स तो नहीं लाई जा रही है। इसके अलावा जेल में कैदियों की भी जांच की जाए। कैदियों के नशे में मिलने पर इलाज के साथ उन्हें डी-एडिक्शन सेंटर भेजा जाए। इसके साथ किसी आरोपी को गिरफ्तार कर अदालत में पेश करने से पहले उसका मेडिकल करवाया जाए और रिकॉर्ड मेंटेन किया जाए।
‘शिक्षण संस्थानों के बाहर नजर ना आए ड्रग पैडलर’
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की तरफ से कहा गया है, कि जिला शिक्षा अधिकारी ऐसे स्कूलों की एक लिस्ट तैयार करें जिनके बाहर या आसपास नशा बिकने की शिकायतें मिलती है। ताकि उनपर कार्रवाई की जा सके। इसके साथ ही हाईकोर्ट की तरफ से स्कूल, कॉलेजों यूनिवर्सिटी और अन्य शिक्षण संस्थानों के बाहर नशा तस्करों पर कार्रवाई के लिए सादे कपड़ों में पुलिसकर्मियों की तैनाती किए जाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा है कि कोई भी ड्रग पैडलर शिक्षण संस्थानों के बाहर नजर नहीं आना चाहिए।
हर जिले में पुनर्वास केंद्र बनवाए…
वहीं हाईकोर्ट की तरफ से कहा गया है, कि लोगों को नशे के दलदल से बाहर निकालने के लिए पुनर्वास केंद्र बनवाए जाने जरूरी है। हाईकोर्ट की तरफ से सरकार को निर्देश दिया गया है कि हर जिले में छह महीने के अंदर एक पुनर्वास केंद्र जरूर बनवाया जाए। वहीं पुनर्वास केंद्रों में एक साइकेट्रिस्ट और काउंसलर की भी नियुक्ति की जाए। ताकि लोगों को नेशे के दलदल से बाहर निकाल जाए। इसके साथ ही स्कूलों में भी नशे के दुप्रभावों के बारे में जागरूक किया जाए।