Hathras stampede: उत्तर प्रदेश के हाथरस (Hathras stampede) में मौत का ऐसा तांडव मचा जिसने सबको हिला कर रख दिया। मंगलवार को नारायण साकार विश्व हरि यानी भोले बाबा के सत्संग के दौरान मची भगदड़ में 122 से अधिक श्रद्धालुओं की मौत हो गई और 150 से ज्यादा लोगों के हताहत होने की खबर सामने आयी है। अभी यह आकड़ा और भी बढ़ सकता है। यह हादसा उस समय हुआ जब सत्संग के अंत में लोग बाहर निकलने की कोशिश कर रहे थे। भगदड़ के भयावह मंजर ने पूरे देश को हिला दिया और आस-पास के जिलों में भी डर का माहौल फैल गया है। हाथरस और एटा के पोस्टमार्टम हाउसों में शवों की भरमार हो गई, जिससे प्रशासन पर दबाव बढ़ गया। लोगों के शव रखने तक की जगह नहीं मिल रही।
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‘काश मैं घर पर होता’ विनोद ने बयां किया अपना दर्द
हाथरस भगदड़ में विनोद नामक व्यक्ति ने अपनी पत्नी, मां और 16 साल की बेटी को खो दिया। विनोद ने इस हादसे पर गहरा दु:ख व्यक्त करते हुए कहा कि इस हादसे में उन्होंने अपना सब कुछ खो दिया है। उन्होंने कहा, “मुझे पता ही नहीं चला कि वे तीनों सत्संग में गए थे क्योंकि मैं कहीं बाहर गया था। किसी ने मुझे बताया कि सत्संग में भगदड़ मच गई है और जब मैं मौके पर पहुंचा, तो पता चला कि मेरी 16 साल की बेटी, मां और पत्नी की मौत हो गई है।” न जाने विनोद जैसे कितने लोगों ने अपना सब कुछ गवा दिया।
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प्रशासन की लापरवाही
स्थानीय लोगों ने इस हादसे के लिए प्रशासन की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया है। जैसे-जैसे घंटे बीतते गए, मौतों का आकड़ा बढ़ता गया और ट्रॉमा सेंटर और मुर्दाघर के बाहर शवों की भीड़ बढ़ती गई। ये भगदड़ तब हुई जब लोग ‘सत्संग’ के अंत में कार्यक्रम स्थल से बाहर जा रहे थे। बाहर नाले के ऊपर ऊंचाई पर सड़क बनी हुई थी। इसके बाद अचानक लोग एक-दूसरे के ऊपर गिरे हुए थे।
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अस्पतालों में डॉक्टर नदारद
अस्पताल के बाहर लगभग 100-200 लोग हताहत हुए हैं और अस्पताल में केवल एक डॉक्टर था। ऑक्सीजन तक की कोई सुविधा नहीं थी। कुछ लोग अभी भी सांस ले रहे है, लेकिन उचित इलाज की कोई सुविधा नहीं है। इस हादसे ने प्रशासन और अस्पताल की तैयारियों पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
इस हादसे ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बड़े धार्मिक आयोजनों के लिए प्रशासन को अधिक संवेदनशील और सतर्क रहने की आवश्यकता है। भीड़ को नियंत्रित करने और आपात स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया देने के लिए उचित प्रबंध और संसाधनों की आवश्यकता होती है। इस हादसे से सबक लेते हुए भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए।
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