Ayodhya Deepotsav: अयोध्या (Ayodhya) में भव्य दीपोत्सव की शुरुआत हो चुकी है. पूरी रामनगरी इस समय दीपों और लाइटों से जगमगा रही है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में भव्य दीपोत्सव समारोह का शुभारंभ किया. इस आयोजन की शुरुआत दीप प्रज्वलन से की गई, जिससे सरयू घाट दीपों की जगमगाहट से रोशन हो गया. लेजर शो और थ्रीडी होलोग्राम के जरिए रामायण के प्रसंगों का शानदार चित्रण किया गया.
इस अवसर पर मुख्यमंत्री और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने भगवान राम, सीता और लक्ष्मण का ‘पुष्पक विमान’ (हेलीकॉप्टर) से आगमन पर स्वागत किया और राम दरबार स्थल तक भगवान राम के रथ को खींचकर ले गए. इसके बाद योगी आदित्यनाथ ने उनकी आरती उतारी और उत्सव का माहौल और भी खास हो गया.
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नव निर्मित राम मंदिर में पहली बार दीपोत्सव
आपको बता दे कि, इस साल दीपोत्सव का आयोजन खास बन गया है क्योंकि यह पहली बार नव निर्मित राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के बाद मनाया जा रहा है. अयोध्या (Ayodhya) में दीपोत्सव का बहुत ही शानदार आयोजन किया गया है. 28 लाख दिए जलाकर 55 घाटों को रोशन किया गया है. छोटी दीपावली के मौके पर निकाली गई झांकियों में रामायण के प्रसंगों का अद्भुत प्रदर्शन हुआ. देशभर के शास्त्रीय नर्तक अयोध्या की गलियों में रामायण के विभिन्न प्रसंगों का मंचन कर रहे थे, जिससे शहर में भव्यता और धार्मिकता का अद्भुत संगम देखने को मिला.
सीएम योगी आदित्यनाथ का संदेश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर पर कहा कि त्योहार और पर्व केवल व्यक्तिगत नहीं होते, बल्कि ये सामाजिक रूप से मनाए जाते हैं. उन्होंने जनता से आग्रह किया कि वे किसी जरूरतमंद परिवार के पास जाकर उनकी खुशियों में भी शामिल हों. सीएम योगी ने कहा कि प्रदेश के हर घर में दीप जलना चाहिए ताकि दीपोत्सव का उद्देश्य पूरा हो सके. उन्होंने याद दिलाया कि कोरोना महामारी के दौरान भी अयोध्या में दीपोत्सव का आयोजन निरंतर जारी रहा और इस वर्ष दीपोत्सव ने फिर एक नया रिकॉर्ड स्थापित किया है.
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‘अयोध्या को वैश्विक मानचित्र पर स्थापित करने की जिम्मेदारी’
इस कड़ी में आगे मुख्यमंत्री ने कहा कि दीपोत्सव का यह आयोजन अयोध्या को वैश्विक मानचित्र पर स्थापित करने का एक जरिया है. यह आयोजन केवल अज्ञानता के अंधकार को दूर करने के लिए नहीं है, बल्कि समाज में छिपे दुश्मनों के लिए चेतावनी का संदेश भी है. सीएम योगी ने कहा कि यह त्योहार अन्याय, अधर्म और अत्याचार का अंत करने वाला संदेश भी देता है. उन्होंने समाज में समरसता और सहयोग के महत्व पर बल देते हुए इस त्यौहार को हमेशा के लिए कायम रखने की जिम्मेदारी अयोध्या के नागरिकों पर छोड़ी.
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