गोल्ड ज्वेलरी की हॉलमार्किंग के बाद अब केंद्र सरकार ने गोल्ड बुलियन (बार) की हॉलमार्किंग को भी अनिवार्य करने की तैयारी कर ली है। इसके अलावा, 9 कैरेट तक की गोल्ड ज्वेलरी के लिए भी हॉलमार्किंग को अनिवार्य किया जा सकता है। ऐसा माना जा रहा है कि 2025 की शुरुआत में इस संबंध में एक अधिसूचना जारी की जा सकती है, जिसमें गोल्ड बुलियन और 9 कैरेट तक की गोल्ड ज्वेलरी के लिए हॉलमार्किंग को लागू किया जाएगा।
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गुणवत्ता की जांच, उपभोक्ताओं का विश्वास
यह कदम सोने की गुणवत्ता की जांच और उपभोक्ताओं को विश्वास प्रदान करने के उद्देश्य से उठाया गया है, ताकि बाजार में मिलावट और धोखाधड़ी को रोका जा सके। अभी तक भारत में गोल्ड बार या तो बीआईएस रिफाइनरी में तैयार किया जाता है या फिर इनका इंपोर्ट किया जाता है। इन दोनों तरीकों से मार्केट में पहुंचने वाले गोल्ड बार सर्टिफाइड होते हैं और इनमें धोखाधड़ी की संभावना नहीं होती है।
हालांकि, सर्राफा बाजार में रीसाइकिल्ड गोल्ड बार भी पाए जाते हैं, जिन्हें पुरानी ज्वेलरी से बनाकर नया गोल्ड बार तैयार किया जाता है। इसके अलावा, कभी-कभी बड़े गोल्ड बार की रीसाइकलिंग करके छोटे गोल्ड बार भी बनाए जाते हैं। रीसाइक्लिंग किए गए इन गोल्ड बारों में धोखाधड़ी की संभावना होती है, क्योंकि इनमें सर्टिफिकेशन नहीं होता।
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क्यों लिया केंद्र सरकार ने ऐसा निर्णय?
केंद्र सरकार ने अब गोल्ड बुलियन (बार) की हॉलमार्किंग को अनिवार्य करने का निर्णय लिया है। बताया जा रहा है कि पहले चरण में 100 ग्राम तक के गोल्ड बुलियन (बार) के लिए हॉलमार्किंग अनिवार्य की जाएगी। इसके बाद, अगले 1 से 2 साल की अवधि में, चरणबद्ध तरीके से 5 ग्राम तक के गोल्ड बुलियन के लिए इसे अनिवार्य कर दिया जाएगा। यह कदम गोल्ड बुलियन की गुणवत्ता की सुनिश्चितता और बाजार में विश्वास बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है।
इसके साथ ही केंद्र सरकार ने 9 कैरेट गोल्ड से बने आभूषणों के लिए भी हॉलमार्किंग को अनिवार्य करने की तैयारी कर ली है। वर्तमान में, 14 कैरेट गोल्ड से बने आभूषणों के लिए हॉलमार्किंग अनिवार्य है, लेकिन देश के ग्रामीण और कई पिछड़े इलाकों में 9 कैरेट गोल्ड ज्वेलरी भी बिकती है। ऐसे में उपभोक्ताओं को धोखाधड़ी से बचाने के लिए अब केंद्र सरकार ने 9 कैरेट गोल्ड ज्वेलरी के लिए भी हॉलमार्किंग अनिवार्य करने का निर्णय लिया है।
विशेषज्ञों की माने तो…
विशेषज्ञों का कहना है कि सोने की कीमत में पिछले दो सालों में जोरदार बढ़ोतरी हुई है। इस परिस्थिति में, ग्राहकों को 14 कैरेट से नीचे के गोल्ड ज्वेलरी के लिए भी हॉलमार्किंग का विकल्प मिलना चाहिए, ताकि वे धोखाधड़ी से बच सकें।
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सरकार से मिली मंजूरी
इंडियन बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन के सेक्रेटरी सुरेंद्र मेहता ने इस फैसले का स्वागत किया है। उनका कहना है कि गोल्ड बुलियन और 9 कैरेट तक की गोल्ड ज्वेलरी के लिए हॉलमार्किंग अनिवार्य करने का कदम उपभोक्ताओं को सोने की शुद्धता के बारे में विश्वास दिलाएगा और धोखाधड़ी को रोकेगा। सुरेंद्र मेहता ने यह भी बताया कि इंडियन बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन ने ही केंद्र सरकार के सामने गोल्ड बुलियन और 9 कैरेट गोल्ड ज्वेलरी पर हॉलमार्किंग का प्रस्ताव रखा था, जिसे अब सरकार मंजूरी देने जा रही है। यह कदम उपभोक्ताओं की सुरक्षा और बाजार में गोल्ड ज्वेलरी की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।