फिल्म 72 हूरें को लेकर हो रहा विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है। वही खबरें थीं कि 72 Hoorain के ट्रेलर को सीबीएफसी ने रिजेक्ट कर दिया था। वही अब सीबीएफसी ने खुद सामने आके कहां है, कि 72 Hoorain के ट्रेलर को को रिजेक्ट नहीं किया गया।
72 Hoorain CBFC Row: फिल्म 72 हूरें जबसे अनाउंस हुई है, तभी से यह विवाद से घिरी नजर आ रही है। फिल्म में सारु मैनी आमिर बशीर, पवन मल्होत्रा और राशिद नाज की अहम भूमिका है। इस फिल्म का निर्देशन संजय पूरन सिंह चौहान ने किया है। फिल्म के ट्रेलर में आतंकवाद की काली दुनिया का सच दिखाया गया है। बता दे कि इस फिल्म के नाम से ही कॉन्ट्रोवर्सी जुड़ी हुई है।
फिल्म को दिया गया था ए सर्टिफिकेट-सेंसर बोर्ड…
वहीं सेंसर बोर्ड की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक नोटिस के साथ फिल्म के मेकर्स को तय प्रक्रिया के मुताबिक जरूरी दस्तावेज दाखिल कराने की मोहलत भी दी गई थी। जिसके बाद एडिटिंग के साथ इस ट्रेलर को रिलीज करने की अनुमति दी जानी थी। वहीं बोर्ड की तरफ से कहा गया है, कि नोटिस पर अभी तक मेकर्स की कोई प्रतिक्रिया बोर्ड को नहीं मिली है।
फिल्म में क्या है 72 हूरों का मतलब?
इस्लाम में मान्यता है, कि अगर खुदा की खिदमत में जिंदगी लगा दी जाए तो जन्नत मिलती है, और सभी कष्ट खत्म हो जाते हैं। फिल्म में इसका इस्तेमान आतंकी सरगना युवाओं को बरगलाने के लिए करते हैं। वे युवाओं से कहते हैं कि अगर वे सुसाइड बॉम्बर बनकर लोगों को मारेंगे उन्हें जन्नत नसीब होगी और वहां 72 हूरें (72 अप्सराएं मिलेंगी, जो उनकी सेवा करेंगी।)
ट्रेलर को लेकर हुआ विवाद…
CBFC के मुताबिक, वो दर्शकों की संवेदनाओं का ख्याल रखते हैं। इसलिए ट्रेलर को ग्रीन सिग्नल नहीं दे सकते। वहीं अशोक पंडित ने CBFC को लेकर अपना गुस्सा जाहिर करते हुए उन पर कई बड़े आरोप लगाए हैं.
‘ब्रेनवॉश कर बनाया जाता है आतंकवादी’
फिल्म ‘72 हूरें’ को लेकर अशोक पंडित ने बताया कि किस तरह लोगों का ब्रेनवॉश कर आतंकवादी बनाया जाता है और उनसे क्रूर काम कराए जाते हैं, इस काली सच्चाई का फिल्म में पर्दाफाश किया गया है।” दो बार नेशनल अवार्ड का पुरस्कार जीतने वाले संजय पूरण सिंह चौहान ने फिल्म का निर्देशन किया है। गुलाब सिंह तंवर, किरन डागर, अनिरुद्ध तंवर और अशोक पंडित ने फिल्म प्रोड्यूस की है।
फिल्म का ट्रेलर डिजिटली किया गया रिलीज…
बता दे कि फिल्म 72 हूरें में आतंकवाद और भोले-भाले लोगों के ब्रेनवॉश जैसे मुद्दों को बेहद मुखरता के साथ उठाया गया है। इस फिल्म के संवेदनशील विषय को लेकर पहले ही अलग-अलग तबकों से अलग-अलग प्रतिक्रिया देखने को मिली थी। हालांकि सेंसर बोर्ड से ट्रेलर रिलीज की परमिशन ना मिलने के बाद भी मेकर्स पीछे नहीं हटे थे और इस फिल्म का ट्रेलर डिजिटली रिलीज कर दिया गया।
फिल्ममेकर ने दिया जवाब…
एक बातचीत में अशोक पंडित ने कहा- एक चीज समझना बहुत जरूरी है। फिल्म का सेंसर बोर्ड अलग होता है और ट्रेलर का अलग होता है। यह तो मुझे टेक्नीशियन से पूछना पड़ेगा। फिल्म का सेंसर तो मेरे पास है। तब जाकर हमें ये अवॉर्ड्स मिले हैं। अब ट्रेलर जो आपने देखा, उसमें एक पैर का शॉट है, जो ट्रेलर से निकाला गया है। उन्होंने बोला ये निकाल देने के लिए। जो लास्ट का सिक्वेंस है। लेकिन विडंबना देखिए वह शॉट फिल्म में भी है। जो फिल्म में ओके है, आप उसे सेंसर सर्टिफिकेट दे चुके हो। पर ट्रेलर से निकालना है। ये जो गलतफहमी है, इसपर हम सवाल कर रहे हैं।