Election Commission Strict On Complaints: महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चरम पर है। राजनीतिक बयानबाजी के बढ़ते विवाद पर चुनाव आयोग ने अब दोनों ही दलों के राष्ट्रीय अध्यक्षों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। कांग्रेस ने जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर झूठे और भड़काऊ बयान देने का आरोप लगाया, वहीं भाजपा ने राहुल गांधी पर राज्यों को आपस में बांटने और भ्रामक बयान देने का आरोप लगाया।
चुनाव आयोग ने दोनों दलों को जारी किया नोटिस
चुनाव आयोग ने 16 नवंबर को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को नोटिस जारी कर 18 नवंबर तक औपचारिक जवाब देने को कहा है। आयोग ने उन्हें 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान दिए गए परामर्श की भी याद दिलाई, जिसमें स्टार प्रचारकों और नेताओं को भड़काऊ बयान देने से बचने की सलाह दी गई थी।
कांग्रेस ने पीएम मोदी और शाह के बयानों पर जताई आपत्ति
कांग्रेस ने 14 नवंबर को चुनाव आयोग से शिकायत दर्ज कराई थी कि प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री शाह चुनाव प्रचार के दौरान झूठे, विभाजनकारी और दुर्भावनापूर्ण बयान दे रहे हैं। कांग्रेस ने मांग की कि दोनों नेताओं को चुनावी गतिविधियों से प्रतिबंधित किया जाए और उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज हो।
कांग्रेस का आरोप:
- पीएम मोदी ने नासिक और धुले में रैलियों के दौरान कांग्रेस के खिलाफ झूठे आरोप लगाए।
- कांग्रेस नेताओं और पूर्व प्रधानमंत्रियों जैसे जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी पर अपमानजनक टिप्पणियां कीं।
- आरक्षण खत्म करने की साजिश और जातीय विभाजन का झूठा दावा किया।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि पीएम मोदी ने आदिवासी समुदाय को डराने और झूठे दावे करने का प्रयास किया।
भाजपा ने राहुल गांधी पर लगाए गंभीर आरोप
भाजपा ने 11 नवंबर को राहुल गांधी के बयानों को लेकर शिकायत दर्ज कराई। भाजपा ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने राज्यों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करने की कोशिश की और संविधान का अनादर किया।
भाजपा का आरोप:
- राहुल गांधी ने कहा कि भाजपा संविधान को नष्ट कर रही है।
- उन्होंने यह भी कहा कि “आरएसएस की सदस्यता के बिना नौकरी नहीं मिलेगी।”
- भाजपा ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी बार-बार चेतावनी के बावजूद भ्रामक बयान देने से बाज नहीं आ रहे।
भाजपा नेता अर्जुन मेघवाल ने मांग की कि राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाए।
प्रधानमंत्री के विवादित बयान, जो बने कांग्रेस की शिकायत का आधार
कांग्रेस ने पीएम मोदी के कुछ बयानों को भड़काऊ बताया और उनकी शिकायत की।
आरक्षण पर टिप्पणी: “कांग्रेस आपका आरक्षण छीनने की साजिश कर रही है।”
धारा 370: “अनुच्छेद 370 को कोई वापस नहीं ला सकता।”
तुष्टीकरण राजनीति: “कांग्रेस केवल तुष्टीकरण की राजनीति करती है और समाज को जाति के आधार पर बांट रही है।”
कर्नाटक सरकार पर हमला: “कांग्रेस ने कर्नाटक में लोगों से झूठे वादे किए और उन्हें धोखा दिया।”
आयोग के फैसले पर टिकी सभी दलों की नजरें
चुनाव आयोग के इस कदम ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। दोनों दलों के नेता एक-दूसरे पर लगातार हमला बोल रहे हैं। महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव प्रचार तेज हो गया है, और ऐसे में चुनाव आयोग की इस कार्रवाई को निष्पक्षता और शिष्टाचार बनाए रखने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
चुनाव आयोग ने मांगा जवाब
महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनावों की गर्मी बढ़ती जा रही है, जहां बीजेपी और कांग्रेस के बीच तीखी जुबानी जंग चल रही है। दोनों पार्टियों ने एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव आयोग से शिकायत की है, जिसके बाद निर्वाचन आयोग (ECI) ने शनिवार को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को अलग-अलग पत्र भेजकर उनके खिलाफ की गई शिकायतों पर जवाब देने को कहा।
चुनाव आयोग ने दोनों दलों को शिकायतों की कॉपी भी सौंपी और उनसे सोमवार दोपहर 1 बजे तक जवाब देने को कहा। इसके साथ ही आयोग ने दोनों पार्टी अध्यक्षों को लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान 22 मई, 2024 को जारी की गई एक एडवाइजरी की याद भी दिलाई, जिसमें कहा गया था कि वे अपने प्रचारकों और नेताओं की गतिविधियों पर निगरानी रखें ताकि चुनाव प्रचार के दौरान सार्वजनिक मर्यादा का उल्लंघन न हो और आदर्श आचार संहिता (MCC) का पालन सुनिश्चित हो।
आयोग ने दोनों दलों को चेताया
चुनाव आयोग ने दोनों दलों को सख्त लहजे में स्पष्ट किया है कि चुनाव प्रचार के दौरान किसी भी तरह की अपमानजनक या भड़काऊ बयानबाजी सहन नहीं की जाएगी। 18 नवंबर को जवाब मिलने के बाद आयोग की ओर से अगला कदम तय किया जाएगा। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि चुनाव प्रचार के दौरान इस तरह की बयानबाजी से जनता का ध्यान असली मुद्दों से भटकता है। अब देखना होगा कि भाजपा और कांग्रेस, दोनों आयोग के नोटिस का क्या जवाब देते हैं और यह मामला आगे कैसे बढ़ता है।