Surya Namaskar: नियमित रूप से सूर्यनमस्कार करने से शरीर स्वस्थ व रोग मुक्त रहता है और अगर आप इस क्रिया को अपने जीवनशैली में रोज अपनाते है तो आप को कभी भी डॉक्टर के पास जाने कि जरुरत नहीं पडेगी और इसके जितने ही प्रकार होते है उससे भी ज्यादा उनके गुण पाए जाते है। आपको बता दें कि ये करने से दिल, पेट, छाती, आंत और पैर के अलावा शरीर के अन्य अंगों को बहुत लाभ पहुंचाता है और यह न केवल शरीर को डिटॉक्स करता है, बल्कि तनाव व चिडचिडे पन से दूर व मन को शांत करता है।
बताते चले कि सूर्यनमस्कार को 5 से 10 मिनट तक करना होता है इसको खाली पेट करना चाहिए और अगर आप सूर्योदय समय करते है तो यह आपके शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है कि आपको कोई और योगा करने की जरुरत नहीं पड़ती है, शरीर को स्वस्थ रखने के साथ मन को शांत रखना, दिमाग को तेज करता हैं साथ ही शरीर में पानी की कमी भी नहीं होने देता है।
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जानें फायदे –
12 आसन होते है जो कि इस प्रकार है-
प्रणामासन, हस्त उत्तनासन, पादहस्तासन, अश्व संचालनासन, दंडासन, अष्टांग नमस्कार, भुजंगासन, अधोमुख शवासन, हस्तपादासन, हस्तोत्तानासन, ताड़ासन सूर्यनमस्कार के प्रकार है जो कि आपके स्वास्थ के लिए बहुत ही लाभदायक है और आपको सभी प्रकार के बिमारीयो से दूर भी रखते है। शरीर में लचीलापन, स्वास्थ्य सही, रीढ़ की हड्डी में मजबूती, पेट कि चर्बी में कमी, डिटॉक्स करने में सहायता व चिड़चिड़े पन से दूर करने में मददगार होता है और साथ ही साथ शरीर से अनावश्क तत्व भी बाहर निकालने में मदद करता है।
इस तरह से करे…
- कोशिश करें की सूर्योदय के समय करें ज्यादा फायदेंमंद होता हैं।
- हमेशा खुली, हवादार जगह पर सूर्य नमस्कार का अभ्यास करें।
- यदि आप सुबह या दिन में इसका अभ्यास कर रहे है तो पूर्व की दिशा की और मुँह करके करें।
- यदि शाम को कर रहे हैं तो पश्चिम की तरफ अपना मुँह रखें।
- सूर्य नमस्कार हमेशा खाली पेट करना चाहिये।
- सूर्यनमस्कार करते वक्त ढीले और आरामदायक कपड़ें ही पहनें।
सूर्यनमस्कार करने के बाद क्या करें क्या नहीं –
सूर्यनमस्कार करने के बाद महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि आसन करने के बाद तुरंत कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए कम से कम 10 से 20 मिनट तक अपने शरीर को शव मुद्रा अर्थात शरीर को पूर्ण रुप से आराम की अवस्था में छोड़ देना चाहिए फिर उसके बाद आप आगे के बाकि कार्य कर सकते है। सूर्यनमस्कार को बहुत आराम से करना अर्थात स्थिरता के साथ करना चाहिए जिससे सूर्यनमस्कार करते समय आपके शरीर में कोई खिंचाव का आभास न हो।