Rakshabandhan: राखी सावन मास में मनाए जाने वाला सबसे पवित्र पर्व व एक लोकप्रिय, पारंपरिक हिंदू त्योहार है। इस दिन सभी बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और तिलक लगाकर दिया दिखाती हैं। व अपने भाई के लम्बी उम्र कि कामना करती है। और बदले में भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं और भाई अपने बहन का रक्षा करने का वादा करता है। जैसे कि आपको बता दे कि रक्षाबधंन की शुरूवात तब हुयी जब लक्ष्मी जी ने अपना भेष बदलकर राजा बलि को राखी बांधी और वरदान में विष्णु जी को मांग लिया, और संयोग से उस दिन सावन पूर्णिमा थी तभी से भाई – बहन का पवित्र पर्व रक्षा बंधन मनाया जाने लगा ।
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राखी एक पावन पर्व –
राखी का पर्व भाई -बहन के लिए बहुत ही पवित्र त्योहार होता है। हर बहन इस पर्व का बहुत ही उत्सुकता से इंतजार करती है और इस पर्व से एक दिन पहले बहने अपने हाथो पर मेंहदी लगाना। अपने साज श्रृगांर का समान वस्त्र इत्यादि कि तैयारीयॉ कर के रखी रहती है और राखी के दिन बहन अपने भाई के कलाई में राखी बॉधती है, और अपने भाई कि लम्बी उम्र कि कामना करती है , और भाई बहन कि रक्षा करने का प्रण करता है।
शुभ मुहूर्त –
लोगो के बीच बहुत ही भ्रम बना है कि कब है राखी का शुभ मुहूर्त, शास्त्रो के हिसाब से बताया जा रहा है कि 30 अगस्त को रात 09 बजकर 01 मिनट के बाद से शूरू होगा और 31 अगस्त को सूर्योदय काल में सुबह 07 बजे से 05 मिनट तक रहेगा। बहने अपने भाई को इस शुभ मुहूर्त मे राखी बांध सकती है ।
शुभ मुहूर्त: बाजारो में रंग बिरंगी राखी-
अगस्त माह आते ही बाजार में राखी बिकने लगती है। कहीं रेशम कि तो कही फैंशी तो कही बच्चो कि रंग बिरंगी राखी या , तो कुछ राखीया सोने -चॉदी कि , जो की अपने साथ – साथ बाजार कि भी शोभा बढ़ाती है और राखी आने से पहले ही इनकी खरीद शुरु हो जाती है।
राखी बॉधने कि विधि –
सबसे पहले मस्तक पर तिलक और साथ ही चावल के अक्षत लगाएं, और दीपक दिखाकर अपने भाई के दाहिनी कलाई पर राखी कस के बॉधें अपने रिस्ते कि तरह। यह पर्व भाई – बहन के लिए यह एक त्योहार नहीं यह एक पवित्र और शीतल एहसास होता है।