Mauni Amavasya News : Mauni Amavasya माघ महीने की अमावस्या को कहते हैं। हिंदू धर्म में मौनी अमावस्या को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। इस साल मौनी अमावस्या 9 फरवरी, शुक्रवार को यानी कि आज है। ऐसा माना जाता है कि आज नियमपूर्वक किया गया स्नान-दान सारे पापों से मुक्ति देता है। आपको बता दें कि इस दिन मौन रहकर ईश्वर की साधना करने का अवसर होता है। इस दिन को मौन एवं संयम की साधना, स्वर्ग एवं मोक्ष देने वाली मानी गई है। यदि किसी व्यक्ति के लिए मौन रखना संभव नहीं हो तो वह अपने विचारों को शुद्ध रखें मन में किसी तरह की कुटिलता नहीं आने दें। वहीं उन्नति के लिए भी वाणी का शुद्ध और सरल होना अति आवश्यक है। इसके अलावा इस दिन व्रत भी रखा जाता है जिसको सफल बनाने के लिए कथा पढ़ी जाती है। तो आईए आपको हम इस कथा के बारें बताते है।
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मौनी अमावस्या कथा..
“काफी समय पहले की बात है, कांचीपुरी नाम के एक नगर में देवस्वामी नाम का एक ब्राह्मण रहता था,उसके 7 बेटे और एक बेटी थी. उसकी बेटी का नाम गुणवती और पत्नी का नाम धनवती था, उसने अपने सभी बेटों का विवाह कर दिया,उसके बाद बड़े बेटे को बेटी के लिए सुयोग्य वर देखने के लिए नगर से बाहर भेजा ,उसने बेटी की कुंडली एक ज्योतिषी को दिखाई, उसने कहा कि कन्या का विवाह होते ही वह विधवा हो जाएगी, यह बात सुनकर देवस्वामी दुखी हो गया, तब ज्योतिषी ने उसे एक उपाय बताया, कहा कि सिंहलद्वीप में सोमा नाम की एक धोबिन है, वह घर आकर पूजा करे तो कुंडली का ये दोष दूर हो जाएगा. यह सुनकर देवस्वामी ने बेटी के साथ सबसे छोटे बेटे को सिंहलद्वीप भेज दिया, दोनों समुद्र के किनारे पहुंचकर उसे पार करने का उपाय खोजने लगे, जब कोई उपाय नहीं मिला तो वे भूखे-प्यासे एक वट वृक्ष के नीचे आराम करने लगे।”
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“उस पेड़ पर गिद्ध का परिवार रहता था, गिद्ध के बच्चों ने देखा कि दिनभर इन दोनों को भूखे-प्यासे देखा तो वे भी दुखी होने लगे. जब गिद्ध के बच्चों को उनकी मां ने खाना दिया, तो बच्चों ने खाना नहीं खाया और उन भाई बहन के बारे में बताने लगे. उनकी बातें सुनकर गिद्धों की मां को दया आ गई, उसने पेड़ के नीचे बैठे भाई बहन को भोजन दिया और कहा कि वह उनकी समस्या का समाधान कर देगी,यह सुनकर दोनों ने भोजन ग्रहण किया, अगले दिन सुबह गिद्धों की मां ने दोनों को सोमा के घर पहुंचा दिया,वे उसे लेकर घर आए,सोमा ने पूजा की,फिर गुणवती का विवाह हुआ, लेकिन विवाह होते ही उसके पति का निधन हो गया, तब सोमा ने अपने पुण्य गुणवती को दान किए, जिसके बाद उसका पति फिर जीवित हो गया।”
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“इसके बाद सोमा सिंहलद्वीप आ गई, लेकिन उसके पुण्यों के कमी से उसके बेटे, पति और दामाद का निधन हो गया. इस पर सोमा ने नदी किनारे पीपल के पेड़ के नीचे भगवान विष्णु की आराधना की पूजा के दौरान उसने पीपल की 108 बार प्रदक्षिणा की. इस पूजा से उसे महापुण्य प्राप्त हुआ और उसके प्रभाव से उसके बेटे, पति और दामाद जीवित हो गए, उसका घर धन-धान्य से भर गया. मान्यता है कि तभी से मौनी अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष तथा भगवान विष्णु जी की पूजा की जाने लगी।”
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ऐसे करें पूजन विधि..
इसके साथ ही हम आपको बताएंगे कि मौनी आमावस्या के दिन कैसे पूजा करें- इस दिन सुबह और शाम स्नान के पहले संकल्फ ले, इससे पहले जल अपने सिर के ऊपर लगाकर प्रणाम करें फिर स्नान करना शुरु कर दे, जिसके बाद सूर्य को काले तिल मिलाकर अर्घ्य दें,इसके बाद साफ वस्त्र धारण करें और फिर मंत्रों का उच्चारण करें। इसके अलावा मंत्र जाप के बाद वस्तुओं का दान करें, चाहें तो इस दिन जल और फल ग्रहण करके उपवास रख सकते हैं।