दिवाली 12 नवंबर 2023 रविवार को कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को दिवाली का पर्व मनाया जाता है। दिवाली का त्योहार देश भर में मनाया जाता है। इस दिन लोगों में भी दिवाली का क्रेज देखने को मील रहा है। इस दिन प्रभु श्री राम अयोध्या वापस आए थे, इसीलिए इस दिन को दिवाली के रुप में मनाया जाता है।
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इस दिन दीपक की रोशनी से आप अपने घर को रौशन करें। वहीं इन राज्यों में कुछ अलग ही अंदाज में मनाया जाता है, इसके साथ भारत के कई हिस्सों में लोग विभिन्न प्रथाओं, अनुष्ठानों और कई चीजों के साथ भिन्न-भिन्न तरीकों से दिवाली मनाते हैं।भारत के कुछ हिस्सों में कैसे अलग-अलग तरीकों से दिवाली मनाई जाती है, जैसी जानकारी दे रहे हैं, आप भी एक बार जरूर पढ़ें।
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वाराणसी
वाराणसी में दिवाली देव के साथ मनाया जाता है। इस दिन को देव दीपावली के नाम से जाना जाता है। बता दें कि भक्तों का मानना है कि इस दौरान देवी-देवता होली गंगा में डुबकी लगाने के लिए धरती पर आते हैं। भक्त देवी गंगा की पूरा करते हैं और दिए अर्पित करते हैं। एक चीज़ जो आपको मंत्रमुग्ध कर देगी, वो है यहां नदी के किनारे लगे हुए दीप और सजी हुई रंगोली। देव दीपावली कार्तिक मास की पूर्णिमा को पड़ती है और दीवाली के पंद्रह दिन बाद आती है।
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कोलकाता
दिवाली काली पूजा के साथ मेल खाती है जो रात में होती है। वहीं इस दिन देवी काली को हिबिस्कस के फूलों से सजाया जाता है और मंदिरों और घरों में पूजा की जाती है, सके साथ भक्त मां काली को मिठाई, दाल, चावल और मछली भी चढ़ाते हैं।
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गुजराती
यहां के लोग दिवाली के दिन नव वर्ष दिवस के दिन में मनाते है । इश दिन वो फत्सव की शुरुआत वाग बरस से होती है, उसके बाद धनतेरस, काली चौदश, दिवाली, बेस्टु वरस और भाई बिज आते हैं।
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पंजाब
बता दे कि पंजाबी दिवाली के दिन हिंदू देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं। वहीं सिख भी गुरुद्वारों में त्योहार मनाते हैं, सके साथ दीवाली का त्योहार बंदी छोर दिवस के सिख त्योहार के साथ मेल खाता है जो की दिवाली की तरह घरों और गुरुद्वारों में रोशनी, दावत, उपहार और पटाखे फोड़ने के साथ मनाया जाता है।
गोवा
दीवाली से एक दिन पहले नरकासुर चतुर्दशी के दिन राक्षस के विशाल पुतले बनाए और जलाए जाते हैं। दिवाली के दौरान, गोवा और दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में कई लोग पाप से मुक्त होने के लिए अपने शरीर पर नारियल का तेल लगाते हैं।