UP News: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) की अध्यक्षता में उनके आवास पर हुई बैठक में आगामी उपचुनाव की तैयारियों को लेकर गहन चर्चा की गई। इस बैठक में विभिन्न मंत्रियों को जिम्मेदारियां सौंपी गईं। राजनीतिक गलियारों में हर रोज नई चर्चाएं हो रही हैं, यूपी से लेकर दिल्ली तक बैठकों का दौर लगातार जारी है। मुख्यमंत्री योगी ने 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर पूरी तरह से कमर कस ली है।
Read more: Jharkhand Assembly Elections: सीटों के बंटवारे के बीच टकराव, गठबंधन दलों में खींचतान तेज
मंत्रियों को दी गई जिम्मेदारियां
मुख्यमंत्री योगी द्वारा बुलाई गई इस बैठक में सरकार के कई मंत्री शामिल हुए, जिनमें जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, प्राविधिक शिक्षा मंत्री आशीष पटेल, वित्त मंत्री सुरेश खन्ना, कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, राज्य मंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह, पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह, मंत्री राकेश सचान और दयाशंकर सिंह, श्रम मंत्री अनिल राजभर और संजय निषाद शामिल थे। इसके अलावा, गाजियाबाद के प्रभारी मंत्री सुनील शर्मा, मीरपुर के प्रभारी अनिल कुमार, राज्यमंत्री सोमेंद्र तोमर, कुंदरकी के प्रभारी पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह, सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर और खैर सीट के प्रभारी गन्ना विकास मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी सहित अन्य प्रभारी मंत्रियों को भी बैठक में बुलाया गया था।
Read more: Maharashtra चुनाव से पहले NCP में हलचल; अजित पवार को बड़ा झटका, चार बड़े नेता शरद पवार के खेमे में
एक सीट, तीन मंत्रियों की जिम्मेदारी
बैठक में मुख्यमंत्री योगी ने सभी मंत्रियों को निर्देश दिया कि वे अपने प्रभारी क्षेत्र में जब तक चुनाव समाप्त न हो जाएं, दो दिन-रात्रि विश्राम करें। मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिया कि हर एक ग्रुप को कार्यकर्ताओं के साथ संवाद स्थापित करना है और सबसे ज्यादा फोकस बूथ को मजबूत करने में करना है। बैठक के बाद कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि उपचुनाव को लेकर चर्चा हुई और सभी की जिम्मेदारियां तय की गईं।
क्रम संख्या विधानसभा प्रभारी मंत्री (कैबिनेट) प्रभारी (राज्यमंत्री)
1. मीरापुर अनिल कुमार सोमेंद्र तोमर, केपी मलिक
2. कुंदरकी धर्मपाल सिंह जेपीएस राठौर, जसवंत सिंह और गुलाब देवी
3. गाजियाबाद सुनील शर्मा बृजेश सिंह, कपिलदेव अग्रवाल
4. खैर (एससी) लक्ष्मीनारायण चौधरी संदीप सिंह
5. करहल जयवीर सिंह, योगेंद्र उपाध्याय अजीत पाल सिंह
6. शीशामऊ सुरेश खन्ना नितिन अग्रवाल
7. फूलपुर राकेश सचान दयाशंकर सिंह
8. मिल्कीपुर (एससी) सूर्यप्रताप शाही मयंकेश्वर सिंह, गिरीश यादव और सतीश शर्मा
9. कटेहरी स्वतंत्र देव सिंह, संजय निषाद दयाशंकर सिंह
10. मझवां अनिल राजभर, आशीष पटेल रविंद्र जायसवाल, रामकेश निषाद
Read more: पश्चिम बंगाल की नहर में मिला 9 दिन से लापता Sikkim के पूर्व मंत्री आरसी पौड्याल का शव
विपक्ष की रणनीति
उपचुनाव की तैयारियों के बीच विपक्ष भी सक्रिय हो गया है। समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा), और कांग्रेस ने भी अपनी-अपनी रणनीतियों पर काम शुरू कर दिया है। इन पार्टियों के नेताओं ने अपने कार्यकर्ताओं से मिलकर उन्हें सक्रिय होने का निर्देश दिया है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव, बसपा प्रमुख मायावती, और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने-अपने क्षेत्रों में दौरे शुरू कर दिए हैं और रैलियों के माध्यम से मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं।
Read more: Kedarnath Dham से 228 किलो सोना गायब…शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का गंभीर आरोप
क्षेत्रीय मुद्दे और उपचुनाव
इन उपचुनावों में स्थानीय मुद्दों का भी बड़ा प्रभाव पड़ने की संभावना है। ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों की समस्याएं, बेरोजगारी, और बुनियादी सुविधाओं की कमी जैसे मुद्दे प्रमुख हैं। शहरी क्षेत्रों में ट्रैफिक, प्रदूषण, और नागरिक सुविधाओं से जुड़े मुद्दे चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। भाजपा और विपक्षी पार्टियां इन मुद्दों को अपने-अपने तरीके से उठाकर मतदाताओं को लुभाने की कोशिश करेंगी।
भाजपा की चुनौती
भाजपा के लिए यह उपचुनाव एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। लोकसभा चुनाव में मिली पराजय के बाद पार्टी को अपनी पकड़ को मजबूत करना है। इसके लिए पार्टी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा सरकार विकास कार्यों को प्राथमिकता देकर मतदाताओं को अपने पक्ष में लाने की कोशिश कर रही है।
उपचुनाव का महत्व
यह उपचुनाव आगामी विधानसभा चुनाव 2027 की तैयारियों का एक महत्वपूर्ण चरण माना जा रहा है। इन चुनावों के परिणाम यह बताएंगे कि भाजपा और अन्य राजनीतिक दलों की स्थिति राज्य में कैसी है। भाजपा की जीत जहां उसके लिए आत्मविश्वास बढ़ाने का काम करेगी, वहीं विपक्ष की जीत उसे मजबूती देगी और यह संकेत देगी कि राज्य में सत्ता परिवर्तन की संभावनाएं भी बन सकती हैं। उपचुनाव की यह तैयारियां और राजनीतिक रणनीतियां यह साफ करती हैं कि उत्तर प्रदेश में राजनीतिक तापमान बढ़ चुका है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने मंत्रियों को जिम्मेदारी सौंपकर यह संदेश दिया है कि भाजपा इन चुनावों को गंभीरता से ले रही है।
दूसरी ओर, विपक्ष भी अपनी रणनीतियों को धार देने में जुटा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि किस पार्टी की रणनीति सफल होती है और मतदाता किसे अपना समर्थन देते हैं। उत्तर प्रदेश के उपचुनाव राज्य की राजनीतिक दिशा को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इन चुनावों के परिणाम न केवल वर्तमान सरकार की लोकप्रियता का मापन करेंगे, बल्कि आगामी विधानसभा चुनावों के लिए भी दिशा तय करेंगे। जनता के मुद्दे और राजनीतिक दलों की रणनीतियां ही तय करेंगी कि आगामी समय में प्रदेश की सियासी बागडोर किसके हाथ में होगी।
Read more: Lucknow News: लखनऊ से दिल्ली तक हाई वोल्टेज ड्रामा, क्या यूपी BJP में है अंदरूनी कलह?