Arvind Kejriwal Government: दिल्ली आबकारी घोटाले मामले में तिहाड़ जेल में बंद सीएम अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें कम होने का नाम नही ले रही है. दरअसल दो लाख से अधिक छात्रों को पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध कराने से संबंधी याचिका पर सोमवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान अदालत ने राज्य सरकार और एमसीडी को फटकार लगाते हुए कहा कि, “गिरफ्तारी के बाद भी मुख्यमंत्री पद पर बने रहने का फैसला अरविंद केजरीवाल का व्यक्तिगत निर्णय है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि स्कूल जाने वाले बच्चों के मौलिक अधिकारों को कुचल दिया जाएगा.” हाईकोर्ट ने 17 पेज के अपने आदेश में कहा कि, “निगम स्कूलों की दुर्दशा सुधारने के लिए निगम कमिश्नर को ये अधिकार देना आवश्यक है.”
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“सीएम का पद कोई औपचारिक पद नहीं है”
दिल्ली के MCD स्कूलों में बच्चों को किताबें उपलब्ध न होने के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि, “किसी भी राज्य में मुख्यमंत्री का पद कोई औपचारिक पद नहीं है. ये एक ऐसा पद है ,जहां सीएम को किसी भी संकट या प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़, आग, बीमारी आदि से निपटने के लिए 24×7 उपलब्ध रहना पड़ता है. राष्ट्रीय हित और सार्वजनिक हित ये मांग करता है कि इस पद पर बैठा कोई भी व्यक्ति लंबे समय तक गैरहाजिर न हो.”
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14 मई तक कोर्ट ने एमसीडी कमिश्नर से मांगी रिपोर्ट
मामले पर सुनवाई कर रहे चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस पीएस अरोड़ा की बेंच ने एमसीडी कमिश्नर को निर्देश दिया कि वो एमसीडी स्कूलों में बच्चों की किताबें यूनिफॉर्म और स्टेशनरी के लिए 5 करोड़ की अधिकतम बजट की परवाह किए बिना इन्हें वितरित करें और इसके बाद में इस खर्चे का ऑडिट किया जाए. कोर्ट ने MCD कमिश्नर से इस बारे में 14 मई तक रिपोर्ट मांगी है और अब इस मामले पर 15 मई को सुनवाई होगी.
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“पद पर बने रहने का निर्णय उनका निजी निर्णय है”
चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस पीएस अरोड़ा की बेंच ने अपने आदेश देते हुए कहा कि, “मुख्यमंत्री द्वारा गिरफ्तार किए जाने और उनकी याचिका को हाईकोर्ट द्वारा खारिज किए जाने के बावजूद पद पर बने रहने का निर्णय उनका निजी निर्णय है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि अगर मुख्यमंत्री उपलब्ध नहीं हैं, तो छोटे बच्चों के मौलिक अधिकारों का हनन होगा और उन्हें निःशुल्क पाठ्य पुस्तकें और यूनिफॉर्म के बिना रहना पड़ेगा.”
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