Rajendra Nagar Accident : दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर स्थित राव कोचिंग इंस्टीट्यूट के बेसमेंट में हाल ही में तीन छात्रों की मौत के मामले में कई परतें खुल रही हैं। दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट में इस मामले में कोचिंग संस्थान के मालिकों की भूमिका को लेकर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, यदि ये आरोप सही हैं, तो कोचिंग संस्थान इस त्रासदी के लिए मुख्यतः जिम्मेदार माना जा सकता है।दिल्ली पुलिस ने इस घटना के संबंध में कोचिंग सेंटर के मालिकों को आरोपी घोषित कर दिया है।
वर्तमान में सभी आरोपी पुलिस की हिरासत में हैं और इस मामले की जांच जारी है। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद, कोचिंग संस्थान के मालिकों के लिए इस मामले से बचना बेहद मुश्किल प्रतीत होता है। पुलिस और प्रशासन इस बात की जांच कर रहे हैं कि कोचिंग संस्थान की लापरवाही और सुरक्षा प्रोटोकॉल की कमी के कारण यह दुखद घटना हुई। मामले की जांच पूरी होने तक, यह स्पष्ट हो सकेगा कि इस घटना के लिए किन-किन जिम्मेदार लोगों को दोषी ठहराया जाएगा।
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नाले को मार्बल और ग्रेनाइट से ब्लॉक कर रखा!
दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव की चौंकाने वाली रिपोर्ट में सामने आया है कि राजेंद्र नगर के नाले के ऊपर रैंप बना दिया गया, जिसके चलते पहले इस इलाके में पानी भरा फिर पानी बेसमेंट की ओर मुड़ गया। नाले को मार्बल और ग्रेनाइट से ब्लॉक कर रखा था मेनहोल के मुख्य होल को भी बंद कर रखा गया था। ऐसे में नाले के सफाई का कोई रास्ता नहीं बचा था।
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22 खुले नालों को ठीक करने की जरूरत
साल 2023 में जब दिल्ली में मजनूं का टीला समेत कई इलाके डूबे थे, तब सभी ऐजेंसियों ने बैठकर एक ड्रैनेज सिस्टम को लेकर बात हुई थी।
इसमें 18 नालों के मैनेजमेंट को लेकर रूपरेखा बनाई गई थी। मुख्य सचिव ने लिखा कि 21 अगस्त 2023 को एक निर्णय के संबंध में एक रिपोर्ट सौंपी गई और सौरभ भारद्वाज ने 2 फरवरी 2024 को सभी स्टॉक होल्डर से बात करने को कहा विभाग ने तय किया कि दिल्ली के 22 खुले नालों को ठीक करने की जरूरत है। इस रिपोर्ट में कहा गया कि 21 अगस्त 2023 से लेकर इस साल 8 अप्रैल तक फाइल मंत्री के पास पड़ी रही।
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मास्टर ड्रेनेज प्लान दिल्ली के लिए बना था, लेकिन…
चीफ सेक्रेटरी ने अपनी रिपोर्ट में आगे कहा है कि दिल्ली ड्रेनेज मास्टर प्लान 1976 में बनाया गया, जिसे पूरे तरीके से 1980 में लागू किया गया। यही प्लान जिसमें की नई ड्रेन का कंस्ट्रक्शन वगैरा होना था, वो 1995 में लागू हुआ। 1995 से लेकर 2012 तक कोई नया ड्रेनेज मास्टर प्लान नहीं बनाया गया।
2012 में आईआईटी दिल्ली को एक नया प्लान बनाने को कहा आईआईटी दिल्ली ने यह प्लान 2018 में सबमिट किया और इस प्लान को दिल्ली सरकार ने 2021 में एक्सेप्ट किया। लेकिन 6 सितंबर 2021 को दिल्ली सरकार के द्वारा अलग ड्रेनेज मास्टर प्लान नजफगढ़ बेसिन के लिए, बारापुला बेसिन के लिए और ट्रांस यमुना बेसिन के लिए बनाने की संतुति दी गई।