Diabetes वैश्विक स्तर पर बढ़ती गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, लगभग सभी उम्र के लोगों में इसका खतरा देखा जा रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, लाइफस्टाइल और आहार में गड़बड़ी इसका प्रमुख कारण मानी जाती रही है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी इसका शिकार हो सकते हैं। महिलाओं में डायबिटीज के बढ़ते जोखिमों को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञ चिंतित हैं, विशेषतौर पर गर्भावस्था (pregnancy) के दौरान होने वाली डायबिटीज की समस्या बड़ा जोखिम बनकर उभर रही है।
537 मिलियन (करीब 53.7 करोड़) से अधिक लोग मधुमेह शिकार
आंकड़ों से पता चलता है कि दुनियाभर में 537 मिलियन (करीब 53.7 करोड़) से अधिक लोग मधुमेह के साथ जी रहे हैं। इसमें से गर्भकालीन मधुमेह (जेस्टेशनल डायबिटीज) का बड़ा हिस्सा रहा है। एक अनुमान के अनुसार पांच मिलियन (50 लाख) से अधिक गर्भवती महिलाओं में मधुमेह की समस्या हो सकती है। साल 2040 तक मधुमेह से पीड़ित महिलाओं की संख्या बढ़कर 31 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। गर्भकालीन मधुमेह का असर मां और बच्चे दोनों की सेहत पर हो सकता है, इसलिए समय रहते इसे नियंत्रित करने के उपाय किए जाने चाहिए।

डायबिटीज के खतरे से सुरक्षित रह सकती है महिलाएं
मधुमेह की रोकथाम को लेकर हालिया अध्ययन में शोधकर्ताओं ने एक कारगर तरीका बताया है, जिसका ध्यान रखकर आप डायबिटीज के खतरे से सुरक्षित रह सकती हैं।गर्भावस्था के दौरान मधुमेह से कैसे बचा जा सकता है, इस बारे में समझने के लिए स्वीडन के वैज्ञानिकों की टीम ने अध्ययन किया। शोधकर्ताओं ने पाया कि अगर शरीर का वजन कंट्रोल रखा जाए तो गर्भकालीन मधुमेह के आधे से अधिक मामलों को टाला जा सकता है। वैज्ञानिकों ने पाया कि जिन महिलाओं को बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 30 से अधिक था उनमें गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज होने का खतरा अधिक था।
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बच्चों में होने वाले दुष्प्रभावों को किया जा सकता कम
शोधकर्ताओं ने कहा, अगर गर्भधारण से पहले वजन को कंट्रोल रखा जाए तो न सिर्फ आप गर्भकालीन मधुमेह से बच सकती है, साथ ही गर्भावस्था की जटिलताओं और बच्चों में होने वाले दुष्प्रभावों को भी कम किया जा सकता है।स्वीडन के लिंकोपिंग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने बताया मोटापा या अधिक वजन की समस्या इंसुलिन प्रतिरोध को बढ़ाने और इंसुलिन स्राव में कमी का कारण बनती है जिससे मधुमेह होने का खतरा बढ़ा जाता है। अधिक वजन की समस्या गर्भावस्था से संबंधित कई अन्य समस्याओं को भी बढ़ाने वाली हो सकती है।

गर्भावधि मधुमेह के लगभग आधे मामलों को रोका -मरियम
‘द लैंसेट पब्लिक हेल्थ जर्नल’ (‘The Lancet Public Health Journal’) में प्रकाशित इस अध्ययन की लेखिका मरियम शिरवानीफर ने कहा, हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि गर्भावधि मधुमेह के लगभग आधे मामलों को रोका जा सकता है। यह अध्ययन स्वीडन में जन्मी महिलाओं पर किया गया है, हालांकि सभी हिस्सों पर लागू होता है।गर्भावधि मधुमेह, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है इसका निदान पहली बार गर्भावस्था (गर्भावस्था) के दौरान होता है। मधुमेह के अन्य प्रकारों की तरह गर्भावधि मधुमेह भी सेहत को कई प्रकार से प्रभावित करती है। गर्भावधि में मधुमेह के कारण ब्लड शुगर का स्तर बढ़ा रहता है जिसका असर गर्भवती और बच्चे दोनों की सेहत पर देखा जाता है।

अधिक वजन की दिक्कत बनी रह सकती है
गर्भावस्था के दौरान मधुमेह है, तो आमतौर पर प्रसव के बाद शुगर लेवल सामान्य हो जाता है। हालांकि ऐसी महिलाओं में बाद के समय में टाइप-2 डायबिटीज होने का खतरा अधिक देखा जाता रहा है।गर्भावधि के दौरान मधुमेह के कारण जन्म के समय बच्चे को अधिक वजन की दिक्कत बनी रह सकती है। कई बार तो वजन अधिक होने के कारण बच्चे बर्थ कैनाल में फंस जाते हैं। इसके अलावा जटिलातओं के कारण समय से पहले भी बच्चे का जन्म हो सकता है जिसे कई तरह की जटिलताओं वाला माना जाता है। समय से पहले पैदा होने वाले शिशुओं को सांस से संबंधित कई तरह की दिक्कतों का खतरा रहता है।स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, गर्भावस्था के दौरान स्वस्थ आहार, व्यायाम करने जैसे उपायों का पालन करके आप वजन को कंट्रोल रख सकती हैं जिससे डायबिटीज के कारण होने वाली समस्याओं से बचा जा सकता है।