Delhi News:दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में ढहाई गई महरौली इलाके में अखूनजी मस्जिद के पास शब-ए-बारात के मौके पर नमाज पढ़ने की अनुमति देने से इंकार कर दिया है.कोर्ट का कहना है कि,इस मामले में दाखिल मुख्य याचिका पर 7 मार्च को सुनवाई होगी तब तक के लिए इस पर वो कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं कर रहे हैं.याचिका में बताया गया था कि,महरौली में जो मस्जिद हटाई गई थी उस जगह पर शब-ए-बारात के मौके पर नमाज पढ़ने की अनुमति दी जाए और वहां जाने वाले किसी भी व्यक्ति को रोका ना जाए।
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क्या थी याचिका?
याचिका में कहा गया था कि,जो मस्जिद हटाई गई उस जगह पर शब-ए-बारात पर नमाज पढ़ने की अनुमति दी जाए और वहां जाने वाले किसी भी व्यक्ति को रोका ना जाए.महरौली की 600 साल पुरानी मस्जिद अखूनजी को गिराए जाने के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली वक्फ बोर्ड की प्रबंध समिति की उस याचिका को खारिज कर दिया,जिसमें स्थानीय लोगों को उस जमीन पर शब-ए-बारात पर नमाज पढ़ने की अनुमति मांगी गई थी.हाईकोर्ट ने ये कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि,इस याचिका पर अदालत कोई निर्देश पारित करने के लिए इच्छुक नहीं है।
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हाईकोर्ट ने क्या रखी बात?
हाईकोर्ट ने कहा कि,अब तक विचाराधीन साइट डीडीए के कब्जे में है और इस मामले में मुख्य याचिका की सुनवाई 7 मार्च को होनी है.ये मामला भी उसी के साथ जुड़ा है लिहाजा इस स्तर पर कोर्ट वर्तमान मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते कोई भी निर्देश पारित करने का इच्छुक नहीं है,कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है।
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क्या था पूरा मामला?
राजधानी दिल्ली के महरौली में स्थित 600 साल पुरानी मस्जिद पर 30 जनवरी को बुलडोजर चला दिया गया था.डीडीए की ओर से अचानक की गई इस कार्रवाई ने मामले को दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचा दिया.वहीं हाई कोर्ट ने भी दिल्ली विकास प्राधिकरण से इस पर जवाब मांगा है।कोर्ट ने पूछा कि,क्या आपने महरौली की इस ऐतिहासिक मस्जिद को गिराने से पहले कोई सूचना दी थी.दूसरी ओर डीडीए का कहना है कि,उसने डिमोलिशन ड्राइव अभियान के चलते मस्जिद और अतिक्रमण को हटाया था.कोर्ट ने इस मामले में डीडीए से एक सप्ताह में जवाब मांगा है वहीं मस्जिद ढहाए जाने के बाद से ही एक खासा समुदाय नाराज चल रहा है।