Karnataka:कर्नाटक में कांग्रेस की सिद्धारमैया सरकार द्वारा राज्य में मंदिरों पर टैक्स लाने वाले विधेयक को विधानपरिषद में बड़ा झटका मिला है.बुधवार को कर्नाटक विधानसभा में कांग्रेस सरकार की ओर से इस विधेयक को पास किया गया था जिसके बाद से भाजपा की ओर से कांग्रेस पर लगातार हमला बोला जा रहा था।आपको बता दें कि,शुक्रवार को इस विधेयक को सरकार की ओर से विधान परिषद में पेश किया गया,जहां ये खारिज हो गया.विधानसभा में पास किए गए ‘कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती विधेयक 2024’ के तहत उन मंदिरों से 10 फीसदी टैक्स वसूलने का प्रावधान था,जिनका राजस्व 1 करोड़ रुपए से ज्यादा है।इसके अलावा जिन मंदिरों का राजस्व 10 लाख रुपए से 1 करोड़ के बीच है, उनसे 5 फीसदी टैक्स लेने का प्रावधान था।
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18 सदस्यों ने विरोध में किया वोट
शुक्रवार को विधानपरिषद में विधेयक पेश करने के दौरान 7 सदस्यों ने इसके पक्ष में वोट किया जबकि 18 सदस्यों ने विधेयक के विरोध में वोट किया.विधानपरिषद में विधेयक का प्रस्ताव रखते हुए परिवहन मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने बताया कि,मौजूदा नियमों के मुताबिक सरकार को मंदिरों से 8 करोड़ रुपये मिल रहे हैं लेकिन नया नियम पारित होने के बाद सरकार को मंदिरों से 60 करोड़ रुपये की कमाई होगी और इस फंड से सी ग्रेड मंदिरों का प्रबंधन किया जाएगा।
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भाजपा पर राजनीतिक लाभ लेने का आरोप
विधानपरिषद में नेता प्रतिपक्ष कोटा श्रीनिवास पुजारी ने पुजारियों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के कदम का स्वागत किया.हालांकि, मंदिरों द्वारा अर्जित राजस्व के दुरुपयोग का उन्होंने विरोध किया उन्होंने सवाल किया कि,सरकार उनके कल्याण के लिए बजट के तहत धन क्यों नहीं दे सकती? विपक्ष ने विधेयक में मंदिर समिति के अध्यक्ष को सरकार द्वारा मनोनीत करने के प्रस्ताव का भी विरोध किया।कर्नाटक सरकार में मंत्री रामलिंगा रेड्डी का भाजपा सरकार पर आरोप है कि,भाजपा ने हमेशा धर्म की राजनीति की है,हिंदुत्व की सच्ची समर्थक कांग्रेस ही है…कांग्रेस को हिंदू विरोधी बताकर भाजपा राजनीतिक लाभ लेती है।
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भाजपा की ओर से सरकार पर आरोप है कि,सरकार मंदिरों पर टैक्स लगाकर अपने खाली खजाने को भरना चाहती है.विपक्ष का कांग्रेस सरकार पर आरोप है कि,सरकार को कम कमाई वाले मंदिरों के पुजारियों के कल्याण के लिए बजट में अलग से फंड का प्रावधान करना चाहिए।भाजपा की ओर से दिए गए इस बयान पर कांग्रेस सरकार का कहना है कि,साल 2011 में भाजपा सरकार भी ऐसा ही विधेयक लेकर आई थी.जिसमें मंदिरों की 5 से 10 लाख रुपये की सालाना कमाई पर 5 प्रतिशत और 10 लाख से ज्यादा कमाई वाले मंदिरों पर 10 प्रतिशत टैक्स लगाने का प्रावधान था.सरकार का तर्क है कि,मौजूदा विधेयक में कम टैक्स लगाया गया है।