यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के भाई सूबेदार शैलेन्द्र को सूबेदार मेजर के पद पर पदोन्नत किया गया है। बता दे कि गढ़वाल रेजिमेंट में सूबेदार मेजर सर्वोच्च गैर-कमीशन अधिकारी के तौर पर तैनात हैं।
लखनऊ: यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भाई सूबेदार मेजर शैलेन्द्र को सूबेदार मेजर के पद पर पदोन्नत किया गया है। सूबेदार मेजर गढ़वाल रेजिमेंट में सवोच्च गैर-कमीशन अधिकारी रैंक है। सेना के अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भाई अच्छे सिपाही हैं।
उन्होंने कहा कि अगर नेताओं के परिवारों के लोग अच्छे सैनिक या किसान हो तो देश की वास्तविकता को समझेंगे और आम-आदमी के प्रति सहानुभूति रखेंगे। वही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भाई शैलेंद्र बिष्ट ने कुछ साल पहले बताया था कि वह बचपन से ही देश की सेवा में जाना चाहते थे। इसीलिए वे स्काउट गाइड में शामिल हुए थे। बाद में उन्होंने अपने सपने को साकार भी किया।
बचपन से था देश सेवा का सपना…
गढ़वाल स्काउट यूनिट में पहाड़ी सीमाओं की रक्षा के लिए भारतीय सेना सैनिकों के रूप में स्थानीय व्यक्तियों को भर्ती करती है। ये सीमा चीन के साथ लगने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा के कारण काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है, कुछ साल पहले सीएम योगी आदित्यनाथ के भाई शैलेंद्र बिष्ट ने बताया था कि वह बचपन से ही देश की सेवा करना चाहते थे। वे इसीलिए स्काउट गाइड में शामिल हुए और बाद में उन्होंने अपने सपने को साकार कर दिखाया।
योगी का परिवार साधारण जिंदगी जीता है…
योगी आदित्यनाथ का पूरा परिवार साधारण जिंदगी गुजर-बसर करता है। योगी आदित्यनाथ के पिता आनंद सिंह बिष्ट एक फॉरेस्ट रेंजर थे और उनकी माता सावित्री देवी गृहणी हैं। योगी आदित्यनाथ का संन्यास से पहले नाम अजय सिंह बिष्ट था। योगी आदित्यनाथ चार भाई और तीन बहनों में दूसरे नंबर पर हैं। योगी आदित्यनाथ ने अपने गुरूजी के नाम से यमकेश्वर के विध्याणी में लड़कियों के लिए महायोगी गुरु गोरखनाथ राजकीय महाविद्यालय की स्थापना की है और इस स्कूल को चलाने में उनके दो भाई सहयोग करते हैं।
योगी अपने परिवार से बहुत कम मिलते हैं…
मुख्यमंत्री योगी अपने परिवार से बहुत कम मिलते हैं। उनका जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले एक छोटे से गांव पंचूर में हुआ था। योगी आदित्यनाथ 1993 में गोरखपुर आ गए थे। 21 साल की उम्र में उन्होंने घर छोड़ दिया था। कोरोना की वजह से वो पिता के अंतिम संस्कार में भी नहीं जा पाए थे। हालांकि, पिछले साल वो उत्तराखंड स्थित अपने घर गए थे। जहां वो मां, बहनों और दूसरे परिजनों से मिले थे।