गोण्डा संवाददाता- भूपेन्द्र तिवारी
Uttar Pradesh: घाघरा व सरयू नदी की बाढ़ से प्रभावित क्षेत्र का हाल-चाल लेने के लिए CM Yogi आज गोण्डा आये। उन्होंने यहां कर्नलगंज तहसील क्षेत्र के नकहरा, चचरी, पल्हापुर समेत दूसरे बाढ़ प्रभावित गांवों का हवाई सर्वेक्षण किया। बाढ़ क्षेत्र का हवाई सर्वेक्षण किया वही बाढ़ पीड़ितों से मुलाकात की।
चचरी में उन्होंने बाढ़ प्रभावितों को राहत किट का वितरण किया। साथ ही सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों से संवाद भी किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि सरकार अब बाढ़ पीड़ितों के लिए स्थाई समाधान करेगी। इसके लिए उन्होंने जिला प्रशासन को भी निर्देशित किया है।
Read more: UP Ghosi Bypoll: बज चुका है घोसी का बिगुल आखिर किसका कसेगा चंगुल?
CM Yogi ने अपने संबोधन में कहा
इस दौरान सीएम योगी ने अपने संबोधन में कहा कि डबल इंजन की सरकार आपदा के समय आपके साथ खड़ी है। सीएम योगी ने कहा कि पीड़ितों की हरसंभव मदद की कोशिश की जा रही है। हर पीड़ित को राहत सामग्री में 10 किलो चावल, आटा, आलू, दाल आदि दे रहे हैं। एंटी स्नेक वैक्सीन भी हर सीएचसी पर उपलब्ध करा दी गई है। पशुओं के चारे का इंतजाम भी किया गया है। जिला प्रशासन से आपदा राहत के मुआवजे की धनराशि देने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि मकान गिरने पर नया मकान पीएम और सीएम आवास योजना के जरिये दिया जाएगा।
स्थायी समाधान के लिए दिए निर्देश
CM Yogi ने कहा कि जिले के आलाधिकारियों को निर्देश दे दिये गये हैं कि तत्काल बाढ़ वाले इलाकों में लोगों की फसल को हुए नुकसान का सर्वे कराएं और रिपोर्ट शासन को भेजें। जिससे किसानों को मुआवजा दिया जा सके। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हर साल यहां सरयू नदी की बाढ़ से लोग परेशान होते हैं। इसके लिए सिंचाई विभाग को स्थायी समाधान के लिए निर्देश दिए हैं। सीएम योगी ने कहा कि गोण्डा के बाढ़ प्रभावित इलाकों में क्षतिग्रस्त पुल, सड़क और दूसरी जरूरी जीचों को तुरंत सही कराने के निर्देश दिए गए हैं।
लोग राहत शिविरों में शरण लिए हुए
आपको बता दें कि हर साल की तरह इस बार भी गोण्डा जिले की तहसील कर्नलगंज के क्षेत्र हजारों गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। सरयू नदी की कटान से भी सैकड़ों गांव प्रभावित हैं। बाढ़ से सबसे ज्यादा तहसील तरबगंज व करनैलगंज क्षेत्र के गांव प्रभावित हैं। यहां दर्जनों घर, प्राइमरी विद्यालय, पंचायत भवन कटान के चलते नदी में समा चुके हैं। लोग राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं। लोग गांव छोड़कर किसी तरह नदी के तटबंध पर अपना गुजर-बसर कर रहे हैं।