CBFC: पिछले छह साल से सिनेमा हॉल में फिल्मों के शुरू होने से पहले दिखाए जाने वाला अक्षय कुमार का मशहूर एंटी-स्मोकिंग विज्ञापन, जिसे आमतौर पर ‘नंदू विज्ञापन’ के नाम से जाना जाता है, अब थिएटर्स में नहीं दिखेगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) ने इस विज्ञापन को हटाने का फैसला किया है। हालांकि विज्ञापन को हटाने का सटीक कारण स्पष्ट नहीं है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि इसे एक नए जनहित संदेश से बदल दिया जाएगा, जिसमें तंबाकू छोड़ने के फायदों पर जोर दिया जाएगा।
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नया संदेश और तंबाकू छोड़ने के फायदे
नया जनहित संदेश हाल ही में रिलीज हुई फिल्मों जैसे आलिया भट्ट की ‘जिगरा’ और राजकुमार राव व तृप्ति डिमरी की ‘विक्की, विद्या का वो वाला वीडियो’ में शामिल किया गया है। इन फिल्मों में धूम्रपान से जुड़ी दृश्य हैं, इसलिए इस नए विज्ञापन को फिल्म के साथ जोड़ा गया है। नया विज्ञापन तंबाकू छोड़ने के सकारात्मक प्रभावों पर केंद्रित है और इससे संदेश में एक बड़ा बदलाव देखा जा रहा है। छह साल तक चले पुराने विज्ञापन के बाद अब यह नया विज्ञापन लोगों को तंबाकू छोड़ने के लिए प्रेरित करेगा।
अक्षय कुमार के विज्ञापन की कहानी
बंद किए जा चुके ‘नंदू विज्ञापन’ में अक्षय कुमार के साथ मध्य प्रदेश के अभिनेता अजय सिंह पाल भी थे, जो पहले अक्षय की 2018 की फिल्म ‘पैडमैन’ में एक छोटे से रोल में नजर आए थे। इसके बाद उन्हें इस एंटी-स्मोकिंग अभियान का हिस्सा बनने का मौका मिला। यह विज्ञापन पहली बार अक्षय की फिल्म ‘गोल्ड’ की रिलीज़ के साथ 2018 में दिखाया गया था। विज्ञापन में अक्षय कुमार का किरदार नंदू को धूम्रपान छोड़ने की सलाह देता है और उससे कहता है कि सिगरेट पर खर्च होने वाले पैसे से वह अपनी पत्नी के लिए सैनिटरी पैड खरीद सकता है। इस तरह यह विज्ञापन धूम्रपान छोड़ने के साथ-साथ महिला स्वच्छता पर भी एक मजबूत संदेश देता था।
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भारत में सिनेमा और जनहित संदेश
भारत में सिनेमा के जरिए सार्वजनिक स्वास्थ्य संदेश देने की पुरानी परंपरा रही है, विशेष रूप से तंबाकू के दुष्प्रभावों को लेकर। 2012 में, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय के साथ मिलकर एक नियम लागू किया, जिसके तहत सभी फिल्मों में धूम्रपान वाले दृश्यों के साथ एंटी-स्मोकिंग विज्ञापन दिखाना अनिवार्य कर दिया गया। यह विज्ञापन फिल्म शुरू होने से पहले और इंटरवल के बाद दिखाए जाते हैं।
मुकेश हराने और सबसे प्रभावशाली विज्ञापन
सबसे पहले और प्रभावशाली एंटी-स्मोकिंग विज्ञापनों में से एक था मुकेश हराने का विज्ञापन। मुकेश एक युवा थे, जिनकी तंबाकू सेवन के कारण कैंसर से मृत्यु हो गई थी। उनका यह दर्दनाक अनुभव भारत की तंबाकू विरोधी मुहिम का अहम हिस्सा बन गया, जिसमें दर्शक मुकेश की कहानी और उनकी यादगार लाइन “मुकेश की मृत्यु मुख कैंसर से हुई” से आज भी डरते हैं।
विज्ञापनों का बदलता स्वरूप
सालों से एंटी-स्मोकिंग विज्ञापनों में बदलाव होते रहे हैं ताकि संदेश को प्रासंगिक और प्रभावी बनाए रखा जा सके। 2018 में प्रसारित अक्षय कुमार का विज्ञापन इन्हीं बदलावों का हिस्सा था, जिसका मकसद धूम्रपान के खिलाफ संदेश को एक नए और व्यावहारिक दृष्टिकोण से पेश करना था। जहां अधिकतर विज्ञापन धूम्रपान के खतरनाक परिणामों को डरावने दृश्य दिखाकर पेश करते थे, वहीं अक्षय कुमार का विज्ञापन हास्य और सरलता के साथ यह संदेश देता था।