Transportation of Organs: स्वास्थ्य मंत्रालय ने पहली बार हवाई, सड़क, रेलवे और जलमार्ग के जरिए मानव अंगों के ट्रांसपोर्टेशन के लिए गाइडलाइन जारी की है। सरकार द्वारा जारी ये दिशानिर्देश देश भर में अंग प्रत्यारोपण में शामिल लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने इस फैसले के बारे में बताया कि अंग ट्रांसपोर्टेशन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करके कीमती अंगों के उपयोग को बढ़ाना और जीवन-रक्षक प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा कर रहे अनगिनत रोगियों को नई आशा देना है। ये दिशानिर्देश अंग पुनर्प्राप्ति और प्रत्यारोपण संस्थानों के लिए गुणवत्ता मानकों का पालन सुनिश्चित करने के लिए एक रोडमैप हैं।
अंग दाता और प्राप्तकर्ता के बीच की कड़ी

जब अंग दाता और प्राप्तकर्ता दोनों एक ही शहर के भीतर या अलग-अलग शहरों में अलग-अलग अस्पतालों में हों, तो एक जीवित अंग को अस्पतालों के बीच ले जाने की आवश्यकता होती है। इसी वजह से इनकी आवाजाही के लिए कुछ नियमों की जरूरत सामने आई थी। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी ये दिशा-निर्देश अंग ट्रांसपोर्टेशन की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित और तेज बनाएंगे। इससे जीवन-रक्षक प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा कर रहे रोगियों को नई आशा मिलेगी और अंग पुनर्प्राप्ति और प्रत्यारोपण संस्थानों के लिए गुणवत्ता मानकों का पालन सुनिश्चित किया जा सकेगा। उम्मीद है कि इन दिशा-निर्देशों का सही तरीके से पालन होगा और अंगों के ट्रांसपोर्टेशन में किसी भी प्रकार की बाधा नहीं आएगी।
हवाई मार्ग से अंग परिवहन के लिए एसओपी

हवाई मार्ग से अंगों के परिवहन के लिए जारी एसओपी के अनुसार, मानव अंगों को ले जाने वाली एयरलाइंस एयर ट्रैफिक कंट्रोल से विमान के प्राथमिक टेक-ऑफ और लैंडिंग के लिए अपील कर सकती है और आगे की सीटों की मांग कर सकती है। डॉक्टर्स के लिए भी प्राथमिकता आरक्षण और देर से चेक-इन का प्रावधान है। दिशानिर्देशों में कहा गया है कि फ्लाइट कैप्टन उड़ान के दौरान घोषणा कर सकता है कि इस विमान में मानव अंगों का परिवहन किया जा रहा है।
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एंबुलेंस और सड़क मार्ग से परिवहन
एसओपी में कहा गया है कि हवाई अड्डे और एयरलाइन कर्मचारियों द्वारा अंग बॉक्स को एंबुलेंस तक ले जाने के लिए ट्रॉलियों की व्यवस्था की जाएगी और उन्हें बाहर तक बिना किसी दिक्कत के ले जाने में मदद की जाएगी। एम्बुलेंस और अन्य वाहनों द्वारा अंगों के परिवहन की सुविधा के लिए विशिष्ट अधिकारियों या एजेंसियों की अपील पर ‘ग्रीन कॉरिडोर’ की व्यवस्था की जाएगी। हर राज्य/शहर में अंग परिवहन के लिए ‘ग्रीन कॉरिडोर’ के निर्माण से संबंधित मुद्दों को संभालने के लिए पुलिस विभाग से एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा।
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मेट्रो और रेलवे द्वारा अंग ट्रांसपोर्टेशन

मेट्रो द्वारा अंगों के ट्रांसफर के लिए मेट्रो सुरक्षा कर्मचारियों को ऑर्गन बॉक्स ले जाने वाली क्लिनिकल टीम को मेट्रो स्टेशन पर चढ़ने तक साथ रहने के निर्देश दिए गए हैं। एसओपी में कहा गया है कि मेट्रो का एक अधिकारी क्लिनिकल टीम को मेट्रो में ले जाएगा और ऑर्गन बॉक्स के लिए जरूरी जगह की व्यवस्था करेगा। सुरक्षा जांच में किसी भी देरी से बचने के लिए अधिकारी व्यवस्था करेंगे।
सड़क और जलमार्ग से भी आसान हुआ ट्रांसपोर्ट

सड़क, ट्रेनों और बंदरगाहों के माध्यम से परिवहन की सुविधा के लिए भी एसओपी जारी किए गए हैं। इसमें विभिन्न वाहनों और मार्गों का उपयोग करके अंगों की सुरक्षित और तेज आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए उपाय शामिल हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय का यह कदम सराहनीय है और इससे अंग प्रत्यारोपण के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव आएंगे। इससे कीमती अंगों का उपयोग बढ़ेगा और जीवन-रक्षक प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा कर रहे रोगियों को नई आशा मिलेगी। हालांकि, इन दिशा-निर्देशों के प्रभावी कार्यान्वयन और निगरानी की भी जरूरत है। अंगों के ट्रांसपोर्टेशन में किसी भी प्रकार की देरी या गड़बड़ी से बचने के लिए सभी संबंधित एजेंसियों को सतर्क और तत्पर रहना होगा।
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