Chaitra Navratri 2025: हिंदू धर्म में नवरात्रि के दिन अत्यंत पवित्र माने जाते हैं और इस दौरान भक्त माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं। नवरात्रि का विशेष महत्व है, खासकर चैत्र नवरात्रि, जो हिंदू नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक मानी जाती है। इस समय को विशेष रूप से शारदीय और चैत्र नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, चैत्र माह में ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना शुरू की थी, यही कारण है कि इस माह को अत्यंत शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है।
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नवरात्रि का व्रत और पूजा से लाभ

आपको बता दे कि, चैत्र नवरात्रि के दौरान व्रत और पूजा करने से भक्तों पर माता दुर्गा की विशेष कृपा रहती है। नवरात्रि के नौ दिनों में माता के विभिन्न रूपों की पूजा करने से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं और घर में अन्न-धन की कोई कमी नहीं रहती। इस दौरान किए गए शुभ कार्यों से जीवन में खुशहाली बनी रहती है और हर काम में सफलता प्राप्त होती है। विशेष रूप से घर में कोई नया काम शुरू करना या शुभ कार्यों की शुरुआत करना इस समय अत्यंत फलदायक माना जाता है।
चैत्र नवरात्रि की शुरुआत और तिथियां
हिंदू वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 29 मार्च को शाम 4:27 बजे होगी। वहीं, इसका समापन 6 अप्रैल को होगा। विशेष रूप से, इस बार नवरात्रि का समय 9 नहीं, बल्कि 8 दिनों का रहेगा, क्योंकि पंचमी तिथि का छय हो रहा है। उदया तिथि के अनुसार, नवरात्रि की शुरुआत रविवार, 30 मार्च से होगी और इसका समापन 6 अप्रैल को होगा।
चैत्र नवरात्रि में शुभ कार्यों की शुरुआत

चैत्र नवरात्रि के दौरान कई विशेष शुभ कार्य किए जा सकते हैं, जिनमें घर में प्रवेश, बच्चों का मुंडन संस्कार, सगाई और नया व्यापार शुरू करना शामिल है। इस समय किए गए इन कार्यों से जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। गृह प्रवेश को नवरात्रि के समय विशेष रूप से शुभ माना जाता है, क्योंकि इसे एक नए जीवन की शुरुआत के रूप में देखा जाता है।
नवरात्रि में ध्यान रखने योग्य नियम

नवरात्रि के दौरान कुछ विशेष आचार-व्यवहार और नियमों का पालन करना आवश्यक होता है। जैसे, चमड़े से बनी वस्तुओं का उपयोग वर्जित माना जाता है। मांस, मछली, शराब, प्याज और लहसुन का सेवन भी न करना चाहिए। घर में किसी भी प्रकार का कलह नहीं होना चाहिए और घर में अंधेरे का माहौल नहीं बनाना चाहिए। साथ ही, व्रति को नौ दिनों तक बिस्तर पर नहीं सोना चाहिए। इन नियमों का पालन करके भक्त अपनी साधना को पूरी निष्ठा और श्रद्धा के साथ संपन्न करते हैं।
चैत्र नवरात्रि एक ऐसे समय का प्रतीक है जब भक्त अपनी आध्यात्मिक यात्रा पर ध्यान केंद्रित करते हैं। इस दौरान किए गए धार्मिक कृत्य न केवल भक्तों के जीवन में सुख-शांति लाते हैं, बल्कि समाज में भी समृद्धि और खुशहाली की कामना करते हैं।