NITI Aayog Meeting: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने आज दावा किया कि नीति आयोग (NITI Aayog) की बैठक में उन्हें बोलने नहीं दिया गया और उनका माइक बंद कर दिया गया. इस आरोप के बाद राजनीतिक माहौल गरमा गया और इसे लेकर विपक्षी पार्टियों ने केंद्र सरकार की आलोचना की. हालांकि, पीआईबी फैक्ट चेक ने इस दावे को फर्जी बताया है. अब नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम का भी बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने पूरे मामले की सच्चाई को स्पष्ट किया है.
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सीईओ का बयान
बताते चले कि बीवीआर सुब्रमण्यम ने कहा, “पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बैठक में मौजूद थीं. मुख्यमंत्री ने लंच से पहले बोलने के लिए कहा था. यह उनकी ओर से ही स्पष्ट अनुरोध था. चूंकि आम तौर पर अल्फाबेटिकल क्रम से बोलने के लिए निर्धारित किया जाता है, इसलिए यह आंध्र प्रदेश से शुरू होता है और क्रम से चलता है. हमने वास्तव में समायोजन किया और रक्षा मंत्री ने वास्तव में गुजरात से ठीक पहले उन्हें बुलाया.”
नीति आयोग की बैठक की प्रक्रिया और समय प्रबंधन
इसी कड़ी में आगे बीवीआर सुब्रमण्यम ने बताया, “प्रत्येक मुख्यमंत्री को सात मिनट आवंटित किए जाते हैं और स्क्रीन के ऊपर सिर्फ एक घड़ी होती है जो आपको शेष समय बताती है. जब समय समाप्त हो गया, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने कहा कि वो और समय के लिए बोलना चाहती थीं, लेकिन फिर उन्होंने कहा कि अब और कुछ नहीं बोलूंगी. हम सबने सुना और उनकी बात को सम्मानपूर्वक नोट किया. मुख्यमंत्री के जाने के बाद भी बंगाल के मुख्य सचिव बैठक में बने रहे.”
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अनुपस्थित राज्यों की सूची और कारण
नीति आयोग (NITI Aayog) के सीईओ ने यह भी बताया कि 10 राज्य अनुपस्थित रहे, जबकि 26 राज्य उपस्थित थे. अनुपस्थित राज्यों में केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, बिहार, दिल्ली, पंजाब, हिमाचल, झारखंड और पुडुचेरी शामिल थे. बिहार के अनुपस्थित रहने का कारण एसेंबली सत्र का देर तक चलना था. सभी मुख्य मंत्रियों को 7 मिनट का समय दिया गया था.
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और विवाद का असर
इस विवाद पर ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के बयान और नीति आयोग (NITI Aayog) के सीईओ के स्पष्टीकरण के बाद भी राजनीतिक प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है. विपक्षी पार्टियों ने इस मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है और ममता बनर्जी के साथ हुए बर्ताव को अनुचित बताया है. वहीं, बीजेपी ने इसे मुख्यमंत्री का राजनीतिक नाटक करार दिया है.
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