लखनऊ संवाददाता- मोहम्मद कलीम
लखनऊ। स्टाफ नर्स की नौकरी लगवाने का झांसा देकर देवर और भाभी ने 15 लाख रुपये ऐंठ लिए। जालसाज ने नियुक्ति पत्र भी थमा दिया। पीड़िता ज्वाइनिंग करने पहुंची तो वह अवाक रह गई। जांच करने पर पता लगा कि नियुक्ति पत्र फर्जी है। पीड़िता ने रुपये वापस मांगे तो आरोपी उसे जान से मारने की धमकी दे रहे हैं। गुडंबा पुलिस मुकदमा दर्ज कर जांच कर रही है।
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जाने पूरा मामला
गोरखपुर गहिरा निवासी नव्या यादव जानकीपुरम में रहकर नर्सिंग की पढ़ाई कर रही थी। नव्या के मुताबिक उनकी मुलाकात सहेली ने अम्बेडकरनगर निम्दीपुर के अमितोष मिश्रा व उसकी भाभी मांडवी से कराई थी। मांडवी खुद को ग्राम विकास अधिकारी बताती थी। अमितोष और मांडवी ने स्टाफ नर्स की नौकरी लगवाने का झांसा दिया। पांच लाख रुपये में बात तय हुई।
उसने और उसकी साथी बांदा के बबेरू निवासी सरिता पटेल व बस्ती लखनाहट की आस्था वर्मा ने पांच-पांच लाख रुपये दे दिए। कुछ दिन बाद जालसाजों ने बरेली में स्टाफ नर्स की नियुक्ति का पत्र थमा दिया। वह नियुक्ति पत्र लेकर पहुंची तो पता लगा की यह फर्जी है।
1.85 लाख रुपये ऐंठ लिए
जालसाजों ने सिंचाई विभाग में नौकरी लगवाने के नाम पर 1.85 लाख रुपये ऐंठ लिए। बस्ती के अमिलडीहा निवासी विनय कुमार मिश्र के मुताबिक प्रयागराज के जोधवाल सिटी ओम प्रकाश भारती ने 7 सिंचाई विभाग में नौकरी लगवाने का भरोसा दिलाया। उन्होंने जालसाज को 1.85 लाख रुपये दे दिए। रुपये देने के दो वर्ष बाद भी न तो नौकरी लगी न ही आरोपी रुपये वापस लौटा रहा है।
निवेश पर मुनाफे का लालच देकर दो लोगों से 16 लाख ऐंठे
लखनऊ। जालसाजों ने निवेश पर मुनाफे का लालच देकर अशोक कुमार सिंह से 10 लाख रुपये ऐंठ लिए। वहीं ज्योत्सना साहू से छह लाख रुपये ऐंठ लिए। सुशांत गोल्फ सिटी पुलिस ने रेहान इंटरप्राइजेज के एमडी समेत सात के खिलाफ अलग-अलग मुकदमा दर्ज कर लिया है।
गोमतीनगर के विनीतखंड निवासी अशोक कुमार सिंह के मुताबिक उनकी सुशांत गोल्फ सिटी स्थित फेलिक्स स्क्वायर में रेहान इंटरप्राइजेज की ब्रांच हेड प्रियंका सिंह से मुलाकात हुई थी। उन्होंने कंपनी की योजनाओं के बारे में बताया। उनके माध्यम से कंपनी के एमडी महाराष्ट्र के नवीं निवासी महादेव पांडुरंग, सुभाष जायसवाल, हरिशंकर श्रीवास्तव, विपिन मिश्रा अभिषेक सिंह से बात करवायी। जालसाजों ने कंपनी में निवेश पर पांच प्रतिशत फायदा का भरोसा दिलाया। बातों पर विश्वास कर उन्होंने 10 लाख रुपये दे दिए। काफी समय बीतने के बाद भी कोई फायदा नहीं मिला। कंपनी के कार्यालय पर संपर्क किया तो वहां ताला लग था।