Bombay High Court News:दुनियाभर के कई देशों के बीच भारत को हमेशा से एक धार्मिक देश माना जाता है.जहां पर अलग-अलग राज्यों मे लोग अपने धर्म पर आंख बंद करके विश्वास करते हैं और अपने धर्म में दी गई मान्यताओं को भी मानते हैं.धर्म पर आधारित पुस्तकों में वैसे तो हमेशा समाज उद्धार की ही बात कही जाती है लेकिन कभी-कभी लोग इसका गलत फायदा भी उठाने लगते हैं।ऐसे ही एक मामले पर आज बॉम्बे हाइकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है.जिसमें तांत्रिक के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामले मे हाइकोर्ट ने कई अहम बातें सामने रखी हैं।इस मामले की सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने कहा कि,कई तांत्रिक ज्यादातर लोगों की कमजोरी और अंधविश्वास का फायदा उठाने लगते हैं और इसके नाम पर लोगों का शोषण करते हैं….तांत्रिकों ने समस्या सुलझाने की आड़ में न सिर्फ लोगो से पैसे लिए हैं बल्कि कई बार पीड़ितों का यौन उत्पीड़न भी किया है।
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लड़कियों के साथ यौन शोषण का आरोप
45 साल के तांत्रिक ने इलाज के नाम पर दिमागी रूप से कमजोर 6 लड़कियों के साथ यौन शोषण किया और लड़कियों के माता-पिता से उन्हें ठीक करने की आड़ में 1.30 करोड़ रुपए ठगने के मामले में जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस मंजूषा देशपांडे की बेंच ने सुनवाई करते हुए तांत्रिक को यौन उत्पीड़न मामले में दोषी ठहराया और उसे सजा देने का फैसला दिया।
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सेशन कोर्ट से भी नहीं मिली थी राहत
आपको बता दें कि,इस मामले पर 2010 में एक FIR दर्ज की गई थी.जिस पर 2016 में सेशन कोर्ट ने सुनवाई करते हुए तांत्रिक को दोषी साबित किया था और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी लेकिन इस फैसले के बाद तांत्रिक ने बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती याचिका दायर की.हालांकि हाई कोर्ट से भी उसकी याचिका खारिज कर दी गई और उसकी सजा को बरकरार रखा गया है।
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तांत्रिक के खिलाफ ठोस सबूत
बॉम्बे हाइकोर्ट ने पिछले महीने ही इस मामले पर सुनवाई करते हुए अपना फैसला सुनाया था…जिस पर आज बॉम्बे हाइकोर्ट का जजमेंट सामने आ गया है,जजमेंट देते हुए बॉम्बे हाइकोर्ट ने कहा कि,ये अंधविश्वास का एक विचित्र मामला है जिसमें तांत्रिक के खिलाफ ठोस सबूत हैं और पीड़ितों की संख्या भी ज्यादा है इसलिए उसकी सजा भी अपराध के अनुसार होनी चाहिए।