Ayodhya Faizabad Lok Sabha Election Result; लोकसभा चुनाव के नतीजे सामने आते ही जहां भाजपा को बहुमत से दूर रहना पड़ा वहीं फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र की सीट के नतीजों ने सभी चौंका दिया। जिस सीट पर राम मंदिर की स्थापना हुई वही सीट भाजपा हार गई। हालांकि सबसे अलग नतीजे आए हैं,
फैजाबाद लोकसभा सीट से, जहां बीजेपी उम्मीदवार लल्लू सिंह 50 हजार वोटों से हार गए। हर किसी के मन में यह सवाल है कि जहां बीजेपी ने राम मंदिर बनवाया और धूमधाम से इसका उद्घाटन किया, वो सीट बीजेपी कैसे हार सकती है। लेकिन नतीजे अब सामने हैं तो मानने में कोई गुरेज भी नहीं है।तो वहीं आईए जानते हैं बीजेपी की हार की सबसे बड़ी वजहें।
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ब्राह्मण मतदाताओं की नाराजगी
सपा प्रत्याशी अवधेश प्रसाद मिल्कीपुर विधानसभा से हैं, जहां ब्राह्मण मतदाताओं की अच्छी संख्या है। उसके बावजूद वो वहीं से विधायक हैं। स्थानीय लोगों के मुताबिक, वह सवर्ण और दलित वोटरों को साथ लेकर चले, जिसका फायदा उन्हें मिला। इसके उलट बीजेपी प्रत्याशी समय रहते मतदाताओं की नाराजगी दूर नहीं कर पाए। लोग कहते हैं कि यदि भाजपा ने लल्लू सिंह की जगह किसी और को प्रत्याशी बनाया होता तो उसे जीत जरूर मिलती।
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जातिगत समीकरण
अयोध्या में पासी बिरादरी बड़ी संख्या में है। ऐसे में सपा ने पासी चेहरे अवधेश प्रसाद को अयोध्या में अपना उम्मीदवार बनाया। यूपी की सियासत में अवधेश प्रसाद दलितों का एक बड़ा चेहरा हैं और उनकी छवि एक जमीनी नेता की है। सपा को अयोध्या में दलितों का खूब वोट मिला।
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अवधेश की लोकप्रियता
सपा उम्मीदवार अवधेश प्रसाद की अयोध्या की जनता पर अच्छी पकड़ है। इस बात का अंदाजा ऐसे लगा सकते हैं कि वह 9 बार के विधायक हैं और मंत्री भी रहे हैं। वह समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं।
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संविधान पर बयान पड़ा भारी
अयोध्या से बीजेपी उम्मीदवार लल्लू सिंह का संविधान को लेकर दिया गया उनका बयान भारी पड़ गया। लल्लू सिंह वही नेता हैं, जिन्होंने कहा था कि मोदी सरकार को 400 सीट इसलिए चाहिए क्योंकि संविधान बदलना है। उनके इस बयान का खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ा।
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लल्लू सिंह से नाराजगी
लल्लू सिंह अयोध्या से 2 बार से सांसद हैं। बीजेपी ने उन्हें तीसरी बार उम्मीदवार बनाया। जबकि जनता के बीच लल्लू को लेकर काफी नाराजगी दिखी क्योंकि अयोध्या के आस-पास के इलाकों में विकास के कार्य नहीं हुए। राम मंदिर पर फोकस्ड होने की वजह से जनता के मुद्दे पीछे छूटते गए। जिसका असर ये हुआ कि लल्लू को कम वोट पड़े।
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राम मंदिर निर्माण के लिए घर और दुकान तोड़े गए
अयोध्या में 14 किलोमीटर लंबा रामपथ बनाया गया। इसके अलावा भक्ति पथ और रामजन्मभूमि पथ भी बना। ऐसे में इसकी जद में आने वाले घर और दुकानें टूटीं लेकिन मुआवजा सभी को नहीं मिल सका। उदाहरण के तौर पर अगर किसी शख्स की 200 साल पुरानी कोई दुकान थी लेकिन उसके पास कागज नहीं थे तो उसकी दुकान तो तोड़ी गई लेकिन मुआवजा नहीं दिया गया। मुआवजा केवल उन्हें मिला, जिसके पास कागज थे। ऐसे में लोगों के बीच नाराजगी थी। जिसे उन्होंने वोट न देकर जाहिर किया।
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आरक्षण पर मैसेज पड़ा भारी
अयोध्या में बीजेपी को अपने नेताओं की बयानबाजी और प्रोपेगंडा भी भारी पड़ा। जनता के बीच ये मैसेज गया कि बीजेपी आरक्षण को खत्म कर देगी। संविधान को बदल देगी। ऐसे में वोटरों का एक बड़ा तबका सपा की ओर चला गया।
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युवाओं में गुस्सा
बीजेपी को लेकर युवा वर्ग में एक गुस्सा दिखाई दिया। युवा अग्निवीर स्कीम को लेकर सरकार से सहमत नहीं दिखे। वहीं बेरोजगारी और पेपर लीक भी युवाओं के गुस्से की अहम वजह रही। इस वजह से युवाओं का वोट भी अयोध्या में बीजेपी के खिलाफ गया।
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कांग्रेस के लिए दलितों में सॉफ्ट कॉर्नर
जहां अयोध्या के दलितों में बीजेपी को लेकर नाराजगी थी, वहीं कांग्रेस के लिए एक सॉफ्ट कॉर्नर भी था। जिसका असर चुनावों में देखने को मिला।