Bihar News: राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता और कार्यकर्ता बिहार के 32 जिलों में धरना और प्रदर्शन कर रहे हैं। पटना में, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के नेतृत्व में राजद के वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे हैं। तेजस्वी यादव पटना हाईकोर्ट द्वारा रद्द किए गए आरक्षण को पुनः लागू करने और संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं। इस धरना प्रदर्शन में राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह, उदय नारायण चौधरी, जयप्रकाश नारायण, अब्दुल बारी सिद्दीकी, प्रवक्ता चितरंजन गगन, शक्ति यादव, और मृत्युंजय तिवारी भी शामिल हैं।
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आरक्षण और जातीय गणना की मांग
तेजस्वी यादव ने धरना प्रदर्शन के दौरान कहा कि बिहार में 65 प्रतिशत आरक्षण को लागू करने की उनकी लड़ाई जारी रहेगी। इसके साथ ही, उन्होंने पूरे देश में जातीय गणना कराने की भी मांग की है। राजद के नेता इस मुद्दे को लेकर गहरी चिंता व्यक्त कर रहे हैं और इसे बिहार के सामाजिक और राजनीतिक समीकरण पर एक महत्वपूर्ण मोड़ मानते हैं।
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भाजपा-जदयू पर हमला
तेजस्वी यादव ने भाजपा और जदयू पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि ये दल नकारात्मक राजनीति कर रहे हैं और आरक्षण के मुद्दे पर सही तरीके से काम नहीं कर रहे हैं। तेजस्वी यादव ने भाजपा और जदयू की आलोचना करते हुए कहा कि जब महागठबंधन सत्ता में था, तब आरक्षण की सीमा बढ़ाई गई थी, लेकिन अब सत्ता में बैठे लोग इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं। उन्होंने भाजपा और जदयू के नेताओं को चुनौती दी कि वे स्पष्ट रूप से बताएं कि वे आरक्षण को नौवीं अनुसूची में डालने के पक्ष में हैं या नहीं।
महागठबंधन सरकार की उपलब्धियां
तेजस्वी यादव ने अपनी सरकार के कार्यकाल का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि महागठबंधन सरकार के दौरान पांच लाख नौकरियों का सृजन हुआ, खेल नीति और शिक्षा नीति लागू की गई। उनका कहना है कि ये सब कार्य उनकी सरकार के दौरान हुए, जबकि वर्तमान सत्ता पर बैठे लोग केवल बयानबाजी कर रहे हैं और कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे।
विशेष राज्य का दर्जा मुद्दा
तेजस्वी यादव ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा न दिए जाने पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जदयू के लोग उस समय ताली बजा रहे थे जब बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिला। तेजस्वी यादव ने जदयू नेताओं को चुनौती दी कि वे स्पष्ट करें कि वे आरक्षण को नौवीं अनुसूची में डालने के पक्ष में हैं या नहीं।तेजस्वी यादव का यह आंदोलन बिहार में आरक्षण के मुद्दे को लेकर एक गंभीर राजनीतिक मुद्दा बन गया है। धरना प्रदर्शन और सार्वजनिक बयानबाजी के माध्यम से वे सरकार को यह संदेश देना चाहते हैं कि आरक्षण और जातीय गणना जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर ठोस कदम उठाए जाएं। इस संघर्ष के आगे बढ़ने से बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ आ सकता है।
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