Arun Yadav Case:बिहार में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के पूर्व विधायक और लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav)के करीबी अरुण यादव (Arun yadav)से जुड़ी 21 करोड़ 38 लाख रुपये की संपत्ति जब्त कर ली है। यह कार्रवाई बालू के अवैध खनन और मनी लॉन्ड्रिंग मामले के तहत की गई है, जिसमें अरुण यादव और उनके परिवार के सदस्यों की संपत्तियां शामिल हैं।हालांकि आज की तारीख में इस प्रॉपर्टी का बाजार मूल्य 22 करोड़ से कई गुना ज्यादा है. अवैध खनन जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ये कार्रवाई हुई है।
करोड़ों रुपये की संपत्तियां जब्त
ईडी ने इस मामले में कुल 21.38 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त की हैं, जिनमें 19.32 करोड़ रुपये की 46 अचल संपत्तियां शामिल हैं। इसके अलावा, बैंक खातों में जमा करीब दो करोड़ पांच लाख रुपये की राशि भी जब्त की गई है। इन संपत्तियों में भोजपुर जिले के अगियांव गांव और पटना के पाश इलाके की कई अचल संपत्तियां शामिल हैं, जो अरुण यादव और उनके परिवार के नाम पर हैं।
जब्त की गई संपत्तियां अरुण यादव के अलावा उनकी पत्नी किरण देवी, जो वर्तमान में संदेश की विधायक हैं, और उनके दोनों बेटे राजेश कुमार और दीपू सिंह के नाम पर पाई गई हैं। इनके साथ ही उनकी कंपनी, मेसर्स किरण दुर्गा कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के नाम से भी संपत्तियां ली गई थीं, जिन्हें अब ईडी ने जब्त कर लिया है।
बालू के अवैध खनन और मनी लॉन्ड्रिंग का मामला
ईडी की इस कार्रवाई का मुख्य कारण बालू के अवैध खनन से जुड़ा मामला है, जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग का भी आरोप है। अवैध खनन के जरिए अर्जित की गई संपत्ति को सफेद धन में बदलने की प्रक्रिया को मनी लॉन्ड्रिंग के तहत लिया जाता है। अरुण यादव और उनके परिवार पर आरोप है कि उन्होंने बालू खनन के जरिए अवैध तरीके से धन अर्जित किया और उसे अपनी कंपनी और अचल संपत्तियों में निवेश किया।
प्रवर्तन निदेशालय ने इस पूरे मामले की गहन जांच के बाद यह कार्रवाई की, जिसमें बड़ी संख्या में संपत्तियां अवैध तौर पर अर्जित की पाई गईं। यह संपत्तियां मुख्य रूप से बिहार के भोजपुर जिले और पटना के प्रमुख स्थानों पर स्थित हैं।
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लालू यादव के करीबी पर कार्रवाई
अरुण यादव राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के करीबी माने जाते हैं। ईडी की इस कार्रवाई को बिहार की राजनीति में एक बड़ी घटना के रूप में देखा जा रहा है, खासकर तब जब लालू यादव और उनके परिवार से जुड़े कई नेताओं पर भ्रष्टाचार और अवैध धन संपत्ति के मामले पहले से ही चल रहे हैं।
इस कार्रवाई के बाद बिहार की राजनीति में हलचल मच गई है और इसे ईडी की सख्त कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है। राजद से जुड़े नेता और समर्थक इस मामले को लेकर पार्टी पर हो रहे दबाव के रूप में भी देख रहे हैं, जबकि भाजपा और अन्य विपक्षी दल इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी जीत के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं।