Robertsganj Loksabha Seat: सोनभद्र सूबे का अकेला ऐसा जिला है जिसकी सीमाएं देश के 4 राज्यों से मिलती हैं और ये एक ऐसा जिला है, जो देश के एक बड़े हिस्से को बिजली से रौशन करता है. इसके बावजूद विकास की रोशनी यहां पर ज्यादा नहीं दिखाई देती है. उस सीट पर मुद्दों का टोटा है और आलम ये कि विकास की रौशनी से महरूम है ये लोकसभा सीट. बता दे कि सोनभद्र को राबर्ट्सगंज नाम से भी जाना जाता है.
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भाजपा और उसके सहयोगी दल का कब्जा
यूपी का अंतिम जिला सोनभद्र उत्तर प्रदेश ही नहीं देश के बड़े हिस्से को अपनी बिजली से रोशन करता है. सोनभद्र का जिला मुख्यालय राबर्ट्सगंज है और इसी नाम से लोकसभा की सीट भी है. ये सीट सुरक्षित सीट है. यहां पर देश में बह रही चुनावी लहर के साथ ही पार्टियों को जीत मिलती रही है. पिछले दो चुनाव से यहां भाजपा और उसके सहयोगी अपना दल का कब्जा है.
इस जिले में नक्सलियों का साम्राज्य चलता
पहाड़ियों पर बसे इस जिले का नाम खनन को लेकर भी जाना जाता है. ये प्रदेश का अकेला ऐसा जिला है जो चार राज्यों बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और झारखंड की सीमा से सटा है. इसके बाद भी विकास की रोशनी ज्यादा नहीं दिखाई देती है. कोयला, बालू और वन संपदा से समृद्ध इस जिले में नक्सलियों का साम्राज्य चलता है. आलम ये है कि आदिवासी बाहुल्य जिले के लोगों को अन्य जिलों और राज्यों में मजदूरी के लिए बाध्य होना पड़ता है. बात करें अगर पिछले लोकसभा चुनाव की तो बीजेपी की सहयोगी अपना दल ने ये सीट जीती थी.
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति बहुल सीट पर मुद्दों का टोटा हमेशा से दिखाई देता है. विकास की बातें खूब होती हैं लेकिन गांव ही नहीं शहरी इलाकों में भी विकास दिखाई नहीं देता है. हर पार्टी अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए योजनाओं की बातें ही करती है. योजनाएं आती भी हैं लेकिन उनका फायदा बिचौलिए ही ले जाते दिखाई देते हैं.
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जातिगत वोटों का समीकरण
अनुसूचित जाति | करीब 4 लाख |
अनुसूचित जनजाति | 1.75 लाख |
यादव | 1.25 लाख |
ब्राह्मण | 1.5 लाख |
कुशवाहा | 1 लाख |
पटेल | 80 हजार |
राजपूत | 40 हजार |
मुस्लिम | 60 हजार |
इस बार किसे पाले में जीत ?
राबर्ट्सगंज लोकसभा सीट से चुने गए सांसदों के साथ एक अनूठा संयोग रहा है. यहां अब तक 18 बार लोकसभा के चुनाव हो चुके हैं, जिसमें 12 बार राम, शिव और नारायण नाम वाले उम्मीदवारों को जीत मिली है. खास बात ये कि इसमें भी अकेले नौ बार सिर्फ राम नाम की जय रही. ऐसे में ये संयोग क्या इस चुनाव में भी बरकरार रहता है. ये देखना भी दिलचस्प होगा. अपना दल के प्रत्याशी पकौड़ी लाल कोल ने सपा के लाल कोल को करीब पचास हजार वोटों से हराया था। पकौड़ी लाल कोल इससे पहले 2009 में भी यहां से सांसद चुने गए थे। तब वह सपा की तरफ से मैदान में थे। 2014 मेंभी सपा की तरफ से उतरे और तीसरे नंबर पर खिसक गए थे। इसके बाद 2019 में उन्होंने अपना दल का दामन थामा और दोबारा सांसद बने।
SC-ST बहुल सीट पर मुद्दों का टोटा
साक्षरता और जानकारी की कमी के कारण वोटिंग का पैटर्नउस समय चल रही लहर ही रहा है। राबर्ट्सगंज सीट पर कुल 83, 40,82,814 मतदाता हैं। इनमें 43,70,35,372 पुरुष और 39,70,18,915 महिलाएं हैं।
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