Sultanpur संवाददाता- Ashutosh Srivastava
Sultanpur : बैंक लोन के बाद काल की घड़ी ने पति का साथ छीन लिया। अब विधवा महिला और बच्चों के साथ दरबदर ठोकर खा रही है। वही अब बैंक एजेंट जब बकाया रुपयों को वसूलने के लिए विधवा महिला को सताने लगे तो परेशान महिला ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण का दरवाजा खटखटाया है। वह राष्ट्रीय लोक अदालत में पहुँचकर अपने अधिवक्ता के जरिये जनपद न्यायाधीश जय प्रकाश पांडेय से मिलकर अपनी व्यथा बताई जिसके बाद न्यायाधीश ने पीड़ित महिला को मामले के निस्तारण किये जाने का आश्वासन दिया।
बैंक द्वारा नोटिस भेजा…
आपको बता दे कि शहर कोतवाली क्षेत्र की रहने वालीं अर्चना बरनवाल ने कहा कि पति राजन की असामयिक मृत्यु बीते वर्ष चार अप्रैल को इलाज के दौरान हो गयी थी। प्रार्थिनी का तीन नाबालिक बच्चों के साथ जीवन यापन करना मुश्किल हो रहा है। वही अर्चना ने बड़े ही रुंधे गले से बताया कि पति बतौर प्रोपराइटर स्थानीय बैंक आफ बड़ौदा शाखा से चालीस लाख का सी०सी० लोन लिया था। जिसकी बकाया राशि-तकरीबन तेरह लाख रूपए थी। जिसके सम्बन्ध में बैंक द्वारा नोटिस भेजा गया।
उधार तथा ऋण आदि लेकर जमा किया…
जिसका जवाब प्रार्थिनी ने दे दिया। प्रार्थिनी ने मृत्योपरान्त बैंक को पति के मृत्यु की सूचना दे दि थी। इसके बावजूद बैंक चार्ज, बैंक ब्याज, प्रोसेसिंग चार्ज, इन्स्पेक्शन चार्ज, स्टाक इन्श्योरेन्स दण्ड आदि की अनुचित / नाजायज काफी विधिक राशि बैंक द्वारा डेबिट कर दी गयी। प्रार्थिनी अर्चना ने नोटिस के एवज में बैंक द्वारा इस आश्वासन पर 1, 17,000/- रूपया भी अपने परिजनों, सहयोगियों आदि से उधार तथा ऋण आदि लेकर जमा किया कि यह जमा राशि समाधान राशि में एडजेस्ट होगी। लेकिन बैंक द्वारा आश्वासन के बावजूद ऐसा नही किया गया।
मनमानापूर्ण तथा अन्यायपूर्ण कार्यवाही…
पति की मृत्यु से बेसहारा अर्चना बैंक द्वारा बहुत सारी अनुचित / नाजायज राशि उक्त खाते से मनमानेपूर्ण रूप से डेबिट कर दी गयी, जिसका कोई औचित्य ही नही था। इस सम्बन्ध में प्रार्थिनी ने जवाब बैंक को विभिन्न पत्रों के माध्यम से उपलब्ध करायी, लेकिन अब भी बैंक द्वारा एकपक्षीय, बिना उन्हें सुनवाई का अवसर दिये ही मनमानापूर्ण तथा अन्यायपूर्ण कार्यवाही की जा रही है, जो कि प्राकृतिक न्याय के खिलाफ है।
कर्ज के जंजाल से खुद को मुक्त करना चाहती हूं…
उन्होंने कहा कि पति की असामयिक मृत्यु से मेरी वर्तमान आर्थिक स्थिति बहुत ही दयनीय हो चुकी है। मै अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ करने के लिए जी-तोड़ प्रयास भी कर रही है। इसके साथ ही बैंक के ऋण की एकमुश्त समाधान द्वारा एक निश्चित जायज / उचित राशि पर निपटान भी चाहती हूँ तथा उक्त समाधानित राशि जमा करने हेतु उचित समय भी चाहती हूँ जिससे मै उक्त राशि अपने परिजनों तथा सहयोगियों आदि से उधार लेकर जमा करके बैंक के कर्ज के जंजाल से खुद को मुक्त करना चाहती हुं
वही पीड़िता का कहना है कि मेरी वर्तमान हालात को ध्यान में रखते हुए पति द्वारा लिये गये ऋण का एक मुश्त जायज समाधान किया जाय, जिससे प्रार्थिनी उक्त उचित समाधानित राशि जमा करके, अपने को बैंक के कर्ज के जंजाल से मुक्त करा सके।