Bangladesh News : पड़ोसी देश बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर छात्रों के आंदोलन के बाद पूर्व पीएम शेख हसीना को अपना ही देश छोड़ना पड़ा है.आरक्षण की मांग को लेकर बांग्लादेश की सड़कों पर उतरे छात्र कब इतना उग्र हो गए कि,जगह-जगह हिंसा होने लगी.हिंसा में सैकड़ों लोगों की मौत हो गई पुलिस और सेना की मौजदूगी में लोगों ने सड़कों पर उतरकर शेख हसीना के खिलाफ मोर्चा खोल दिया हालात इतने बिगड़ गए कि,सेना की ओर से शेख हसीना को केवल 45 मिनट का समय दिया गया जिससे वो जल्द से जल्द देश छोड़कर चली जाए।
Read more : Bangladesh में तख्तापलट और हिंसा के बीच शेख हसीना का इस्तीफा,भारत में बढ़ी सतर्कता
बांग्लादेश के हालातों पर भारत की नजर
सूत्रों के मुताबिक पूर्व पीएम शेख हसीना देश छोड़ने से पहले जनता के नाम एक संबोधन देना चाहती थी लेकिन स्थिति इतनी ज्यादा बिगड़ गई कि,आनन-फानन में शेख हसीना को बांग्लादेश छोड़कर जाना पड़ा.आंदोलन के दबाव में शेख हसीना को अपना देश छोड़ना पड़ा है यहां ऐसा पहली बार नहीं हुआ है.बांग्लादेश में इससे पहले भी अशांति भरे माहौल में कई नेताओं को देश छोड़ना पड़ा है.
आज हम आपको बांग्लादेश में कब-कब ऐसी स्थिति बनी जब नेताओं को देश छोड़कर भागने पर मजबूर होना पड़ा है इसकी विस्तृत जानकारी देंगे क्योंकि भारत के पड़ोसी देश होने के नाते बांग्लादेश में इन हालातों का असर यहां भी दिखाई देगा जिसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को सीसीएस की एक बैठक की बैठक में विदेश मंत्री एस.जयशंकर के अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह,गृह मंत्री अमित शाह और एनएसए प्रमुख अजित डोभाल भी रहे.बांग्लादेश में बने मुश्किलपूर्ण हालातों पर भारत अपनी नजर बनाए हुए है।
बांग्लादेश में तख्तापलट का लंबा है इतिहास
1971 में भारत के साथ हुए एक युद्ध के बाद बांग्लादेश का अस्तित्व दुनिया में हुआ.बांग्लादेश की स्वतंत्रता के नायक रहे शेख मुजीबुर रहमान यहां पहले प्रधानमंत्री बने इसके बाद 1975 में देश के राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी संभाली.लगभग एक साल के भीतर ही 15 अगस्त को सेना के जवानों ने मुजीबुर रहमान की पत्नी और उनके 3 बेटों की हत्या कर दी इसके बाद सेना के समर्थन से खोंडाकर मुस्ताक अहमद ने देश की सत्ता संभाली।
हालांकि इनका कार्यकाल काफी अल्पकालीन था 3 नवंबर को सेना के चीफ ऑफ स्टाफ खालिद मुशर्रफ द्वारा लोगों को उकसाने के बाद यहां तख्तापलट हुआ और उन्हें देश की सत्ता छोड़नी पड़ी.सत्ता छोड़ते ही विरोधिया द्वारा उनकी हत्या कर दी गई सके बाद 7 नवंबर को जनरल जियाउर रहमान ने देश की सत्ता संभाली थी।
Read more : Bangladesh: हिंसक प्रदर्शन के बाद गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर लैंड हुआ शेख हसीना का विमान
1981-83 में हुआ था खूनी विद्रोह
1981-83 में बांग्लादेश में खूनी विद्रोह हुआ 6 साल से भी कम समय बीता और यहां एक बार फिर विद्रोह के बीच 1981 में जियाउर रहमान की हत्या कर दी गई.उनके उपाध्यक्ष अब्दुस सत्तार ने जनरल हुसैन इरशाद के समर्थन से अंतरिम राष्ट्रपति के रुप में पदभार संभाला लेकिन इरशाद ने फिर एक साल के भीतर ही मोर्चा खोल दिया और 24 मार्च 1982 को तख्तापलट के जरिए सत्ता से बेदखल कर दिया….
सत्ता संभालने के तुरंत बाद उन्होंने मार्शल लॉ लागू कर दिया और अहसानुद्दीन चौधरी को राष्ट्रपति बना दिया.11 दिसंबर 1983 को इरशाद ने खुद को राष्ट्राध्यक्ष घोषित कर दिया।ये वो समय था जब बांग्लादेश में लोकतंत्र की मांग तेजी से उठी विरोध प्रदर्शनों के बीच जनरल हुसैन इरशाद ने 6 दिसंबर 1990 को राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया इसके बाद 12 दिसंबर को उन्हें गिरफ्तार किया गया और भ्रष्टाचार के आरोप में दोषी साबित होने के बाद जेल भेज दिया गया।
Read more : Gautam Adani नहीं रहेंगे चेयरमैन! 70 की उम्र में पद छोड़ेंगे कुर्सी, बेटों को सौंपेंगे कंपनी की कमान
1996 में पहली बार पीएम बनी शेख हसीना
बांग्लादेश में पहला स्वतंत्र चुनाव 1991 में हुआ जिसमें बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की विजय हुई.जनरल जियाउर रहमान की पत्नी खालिदा जिया बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी।इसके बाद 1996 में शेख हसीना की अवामी लीग ने बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी को हराकर शेख हसीना को प्रधानमंत्री बनाया.
शेख हसीना बांग्लादेश के संस्थापक मुजीबुर रहमान की बेटी हैं जिस समय विद्रोह में जियाउर रहमान की हत्या की गई उस समय विदेश में होने के कारण शेख हसीना की जान बच गई थी.2001 में फिर से नेशनलिस्ट पार्टी सत्ता में लौटी और खालिदा जिया प्रधानमंत्री बनीं अक्टूबर 2006 तक उन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया।
Read more : Haryana सरकार का बड़ा दांव.. सभी फसलों की MSP पर खरीद की मंजूरी
भ्रष्टाचार के आरोप में काट चुकी जेल की सजा
सेना के समर्थन से 2007 में बांग्लादेश के तत्कालीन राष्ट्रपति इयाजुद्दीन अहमद ने विरोध प्रदर्शन के चलते देश में आपातकाल की घोषणा की इसके बाद सेना के नेतृत्व वाली सरकार ने भ्रष्टाचार विरोधी अभियान शुरु किया और शेख हसीना के साथ-साथ जनरल जियाउर रहमान की पत्नी खालिदा जिया दोनों को भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल मे डाल दिया.साल बदला और समय फिर शेख हसीना के पक्ष में आया जेल से रिहाई के बाद दिसंबर 2008 में पार्टी की जीत के बाद शेख हसीना एक बार फिर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनी।