Bangladesh Violence: बांग्लादेश हिंसा की लपटों में झुलस रहा है। अब तक 300 से भी अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इस बीच, बांग्लादेश (Bangladesh) की प्रधानमंत्री शेख हसीना (PM Sheikh Hasina) ने इस्तीफा दे दिया है और राजधानी ढाका छोड़कर किसी सुरक्षित स्थान पर चली गई हैं। बताया जा रहा है कि देश छोड़ते वक़्त उनके साथ उनकी बहन शेख़ रेहाना भी थीं। माना जा रहा है कि वह फिनलैंड चली गई हैं। यह कहानी 1971 से शुरू होती है, जब बांग्लादेश ने पाकिस्तान से आजादी पाई थी। 1972 में बांग्लादेश की सरकार ने स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा की थी। इसी आरक्षण के विरोध में वर्तमान में बांग्लादेश में हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं।
कोर्ट के फैसले ने बढ़ाई परेशानी
यह विरोध जून महीने के अंत में शुरू हुआ था, लेकिन तब यह हिंसक नहीं था। मामला तब बढ़ गया जब हजारों लोग सड़कों पर उतर आए। 15 जुलाई को ढाका विश्वविद्यालय में छात्रों की पुलिस और सत्तारूढ़ अवामी लीग समर्थित छात्र संगठन से झड़प हो गई। इस घटना में कम से कम 100 लोग घायल हो गए। 1972 से जारी इस आरक्षण व्यवस्था को 2018 में सरकार ने समाप्त कर दिया था। जून में उच्च न्यायालय ने सरकारी नौकरियों के लिए आरक्षण प्रणाली को फिर से बहाल कर दिया, जिससे देश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। शेख हसीना सरकार ने इस फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी। सर्वोच्च अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश को निलंबित कर दिया और मामले की सुनवाई के लिए 7 अगस्त की तारीख तय कर दी।
प्रदर्शनकारियों की मांगें और सरकार का रुख
मामले ने तूल तब पकड़ा जब प्रधानमंत्री हसीना ने अदालती कार्यवाही का हवाला देते हुए प्रदर्शनकारियों की मांगों को पूरा करने से इनकार कर दिया। सरकार के इस कदम के चलते छात्रों ने अपना विरोध तेज कर दिया। प्रधानमंत्री ने प्रदर्शनकारियों को ‘रजाकार’ की संज्ञा दी, जो 1971 में देश के साथ विश्वासघात करने वालों के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
हिंसा और बढ़ती मौतें
अगले दिन भी बांग्लादेश में हिंसा जारी रही और कम से कम छह लोग मारे गए। 16 और 17 जुलाई को भी और झड़पें हुईं और प्रमुख शहरों की सड़कों पर गश्त करने के लिए अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया। 18 जुलाई को कम से कम 19 और लोगों की मौत हो गई जबकि 19 जुलाई को 67 लोगों की जान चली गई। इस प्रकार अब तक इस हिंसक आंदोलन के चलते 300 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है।
प्रधानमंत्री शेख हसीना का इस्तीफा और ढाका से पलायन
सूत्रों के मुताबिक, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना राजधानी ढाका छोड़कर जा चुकी हैं। ढाका में हिंसक झड़पों के बीच उन्हें सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया है। एएफपी को दिए बयान में शेख हसीना के करीबी सूत्र ने बताया कि शेख हसीना अपनी बहन के साथ गणभवन (प्रधानमंत्री का आधिकारिक आवास) से सुरक्षित स्थान के लिए निकल गई हैं। उन्होंने बताया, ‘वह देश के नाम एक भाषण रिकॉर्ड करना चाहती थीं, लेकिन उन्हें मौका नहीं मिल पाया।’
Read more: Bangladesh में हिंसा के बीच सेना की तैनाती, राष्ट्रपति ने शेख हसीना के फैसले का किया बचाव
सरकार की इंटरनेट बंदी और कर्फ्यू
बांग्लादेश सरकार ने प्रदर्शनकारियों के आम जनता से ‘लॉन्ग मार्च टू ढाका’ में भाग लेने का आह्वान करने के बाद इंटरनेट को पूरी तरह बंद करने का आदेश दिया है। इस आदेश के बाद सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘फेसबुक’, ‘मैसेंजर’, ‘व्हॉट्सऐप’ और ‘इंस्टाग्राम’ को बंद कर दिया गया है। मोबाइल प्रदाताओं को 4जी इंटरनेट बंद करने का आदेश दिया गया है।
Read more: Bangladesh में हिंसा के बीच सेना की तैनाती, राष्ट्रपति ने शेख हसीना के फैसले का किया बचाव
भारत की चेतावनी और अंतरिम सरकार का प्रस्ताव
भारत ने बांग्लादेश में जारी हिंसा के कारण अपने सभी नागरिकों को अगली सूचना तक पड़ोसी देश की यात्रा न करने की सलाह दी है। इस बीच, ‘यूनिवर्सिटी टीचर्स नेटवर्क’ ने तुरंत विभिन्न वर्गों और व्यवसायों के लोगों को मिलाकर एक अंतरिम सरकार बनाने का प्रस्ताव दिया है। इस प्रस्ताव के अनुसार, हसीना को अंतरिम सरकार को सत्ता सौंपनी होगी।
Read more: Bangladesh सरकारी नौकरियों में कोटा कटौती पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, आरक्षण के फैसले को पलटा
सत्तारूढ़ पार्टी और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पें
रविवार को हुए भयंकर प्रदर्शन में 300 से अधिक लोग मारे गए। ‘स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन’ के परचम तले आयोजित ‘असहयोग कार्यक्रम’ में भाग लेने पहुंचे प्रदर्शनकारियों और अवामी लीग के समर्थकों के बीच झड़पें हुईं। हिंसा के कारण प्राधिकारियों को मोबाइल इंटरनेट बंद करना पड़ा और पूरे देश में अनिश्चितकाल के लिए कर्फ्यू लागू करना पड़ा। यह हिंसा और अशांति बांग्लादेश के राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक स्थायित्व के लिए गंभीर खतरा है। सरकार और न्यायपालिका के बीच की खींचतान और छात्रों का विरोध बताता है कि बांग्लादेश में एक बड़े परिवर्तन की आवश्यकता है। राजनीतिक दलों को जिम्मेदारी लेते हुए ऐसे मुद्दों का समाधान निकालना चाहिए, जो लंबे समय से दबे हुए हैं। शांतिपूर्ण बातचीत और सामंजस्यपूर्ण समाधान ही बांग्लादेश को इस संकट से उबार सकता है।
Read more: Bangladesh में हिंसा और कर्फ्यू का माहौल, Shoot At Sight के दिए आर्डर…. मृतकों की संख्या पहुंची 115