Bahraich Bulldozer action: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ (Lucknow) खंडपीठ ने बहराइच हिंसा (bahraich violence) मामले में यूपी सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगते हुए 4 नवंबर को अगली सुनवाई की तारीख तय की है। इसके साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा है कि इस मामले में जनहित याचिका दाखिल करने का उद्देश्य क्या है। यह मामला उस समय चर्चा में आया जब बहराइच में हुई सांप्रदायिक हिंसा के आरोपियों के खिलाफ बुलडोजर कार्रवाई का विरोध किया गया और इसे लेकर न्यायालयों में याचिकाएं दायर की गईं।
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सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से मांगी थी रोक की गारंटी
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने भी यूपी सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा था कि 23 अक्टूबर, बुधवार तक बहराइच में आरोपियों की संपत्तियों पर कोई ध्वस्तीकरण (Bahraich Bulldozer action) कार्रवाई न की जाए। इस निर्देश के तहत यूपी सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया था कि इस समय सीमा के भीतर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।
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बुलडोजर कार्रवाई पर रोक के लिए दाखिल हुई याचिका
बहराइच में प्रस्तावित बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ तीन आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है, जिसमें उन्होंने ध्वस्तीकरण नोटिस पर आपत्ति जताई है। याचिकाकर्ताओं के वरिष्ठ अधिवक्ता सी यू सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष मामले की तत्काल सुनवाई की अपील की थी। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ताओं को मात्र तीन दिन का समय दिया गया है, जो बहुत कम है।
ध्वस्तीकरण नोटिस पर उठा सवाल
अधिवक्ता सी यू सिंह ने कोर्ट को बताया कि नोटिस 17 अक्टूबर को जारी किया गया था और 18 अक्टूबर की शाम को उसे चिपकाया गया। याचिकाकर्ता के परिवार के कुछ सदस्य पहले ही आत्मसमर्पण कर चुके हैं, ऐसे में नोटिस जारी करने का यह तरीका सवालों के घेरे में है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के लिए बुधवार का दिन तय किया है, जिससे आरोपियों को राहत मिलने की उम्मीद है।
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15 दिन का जवाब देने का समय
इस बीच, यूपी सरकार के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को नोटिस का जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया है। इसके बावजूद, याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की, ताकि प्रस्तावित बुलडोजर कार्रवाई पर स्थगन आदेश प्राप्त हो सके। बहराइच हिंसा के बाद प्रदेश में राजनीतिक माहौल गरमा गया है। सांप्रदायिक हिंसा के बाद बुलडोजर कार्रवाई के मुद्दे ने प्रदेश की राजनीति में नए विवाद को जन्म दे दिया है। ऐसे में इलाहाबाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों की नजरें इस मामले पर टिकी हुई हैं।