Baba Siddique Murder: एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी (Baba Siddique) की हत्या के बाद 9.9 एमएम पिस्टल अचानक चर्चा में आ गई है। यह वही पिस्टल है जिसकी गोली ने बुलेटप्रूफ कार की बॉडी और विंडस्क्रीन को बेधते हुए बाबा सिद्दीकी (Baba Siddique) की जान ले ली। यह पिस्टल, जो आमतौर पर पैरा मिलिट्री फोर्स और पुलिस द्वारा उपयोग की जाती है, अब गैंगस्टर्स के बीच भी लोकप्रिय हो गई है। 90 के दशक के कुख्यात गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला भी AK-47 से ज्यादा इस पिस्टल पर भरोसा करता था और हमेशा दो 9.9 एमएम पिस्टल अपने साथ रखता था।
9.9 एमएम पिस्टल का इतिहास
इस पिस्टल का भारत में पहली बार इस्तेमाल 1981 में हुआ था। इसे पश्चिम बंगाल के ईशापुर ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में जॉन इंग्लिस एंड कंपनी के सहयोग से बनाया गया था। इसे खासतौर पर दंगों और मुठभेड़ों के दौरान सटीक और प्रभावी फायरिंग के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह पिस्टल 3 गज की नज़दीक दूरी से लेकर 50 गज तक के टारगेट पर सटीक निशाना लगा सकती है, जो इसे एक घातक हथियार बनाता है।
कम झटकों से बेहतर निशाना
9.9 एमएम पिस्टल की एक बड़ी खासियत यह है कि फायर करते समय यह बहुत कम झटके देती है, जिससे इसके हिलने की संभावना कम हो जाती है और निशाना सटीक रहता है। यह पिस्टल इतनी सहज है कि एक व्यक्ति दोनों हाथों में दो पिस्टल पकड़कर एक साथ फायरिंग भी कर सकता है। इसकी एक और अनूठी विशेषता इसकी फायरिंग स्पीड है। पिस्टल की मैगजीन में 13 राउंड होते हैं, और इसे चलाने वाला शूटर सभी 13 राउंड एक बार में भी फायर कर सकता है या एक-एक कर मैगजीन को खाली कर सकता है।
सेमी-ऑटोमेटिक और सुरक्षित भी
यह पिस्टल सेमी-ऑटोमेटिक है और सेल्फ-लोडिंग भी। इसका मतलब है कि गोली चलाने के बाद, यह खुद ही दूसरी गोली लोड कर लेती है, जिससे इसे ऑपरेट करना आसान और तेज होता है। इसके अलावा, इसमें सुरक्षा का भी खास ध्यान रखा गया है। दावा किया जाता है कि अगर पिस्टल का ट्रिगर लॉक हो और यह लोडेड अवस्था में भी जमीन पर गिर जाए, तो गोली नहीं चल सकती, जिससे यह एक सुरक्षित विकल्प बन जाती है।
बुलेटप्रूफ कार को भी भेद दिया
बाबा सिद्दीकी की हत्या में इस पिस्टल की घातकता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस पिस्टल से निकली गोली ने उनकी बुलेटप्रूफ कार की बॉडी को भेद दिया और विंडस्क्रीन को भी चीरते हुए उन्हें मौत की नींद सुला दिया। यह घटना इस बात की गवाही देती है कि 9.9 एमएम पिस्टल कितनी प्रभावी और घातक हो सकती है।
गैंगस्टर्स की पहली पसंद क्यों है यह पिस्टल?
गैंगस्टर्स के बीच यह पिस्टल खासतौर पर इसलिए लोकप्रिय है क्योंकि यह न केवल सेमी-ऑटोमेटिक है, बल्कि इसे चलाना भी बेहद आसान है। इसका सटीक निशाना, तेजी से फायर करने की क्षमता और हल्के झटके इसे गैंगस्टर्स के लिए एक आदर्श हथियार बनाते हैं।
श्रीप्रकाश शुक्ला का पसंदीदा हथियार
90 के दशक के सबसे खतरनाक गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला को AK-47 जैसे घातक हथियार पर भी इतना भरोसा नहीं था जितना इस 9.9 एमएम पिस्टल पर। वह हमेशा अपने साथ दो पिस्टल लेकर चलता था, जिससे यह साबित होता है कि गैंगस्टर्स के लिए यह पिस्टल कितनी महत्वपूर्ण है।
जांच में सामने आई खास जानकारी
बाबा सिद्दीकी की हत्या के बाद पुलिस की जांच में यह खुलासा हुआ है कि अपराध में इस्तेमाल की गई 9.9 एमएम पिस्टल किसी पैरा मिलिट्री फोर्स या पुलिस से हासिल की गई थी। यह पिस्टल ना केवल आधुनिक सुरक्षा मानकों पर खरी उतरती है, बल्कि इसके कई फीचर्स इसे और भी खतरनाक बनाते हैं।
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अपराध जगत में 9.9 एमएम पिस्टल का दबदबा
अपराध की दुनिया में 9.9 एमएम पिस्टल का दबदबा लगातार बढ़ता जा रहा है। इसकी फायरिंग स्पीड, सटीक निशाना और झटकों की कमी इसे अपराधियों के बीच पहली पसंद बना रही है। बाबा सिद्दीकी की हत्या जैसे मामले यह साबित करते हैं कि इस पिस्टल का गलत हाथों में जाना कितना खतरनाक हो सकता है।