Haridwar News: हरिद्वार की रोशनाबाद जेल में रामलीला (Ramlila) का आयोजन किया गया, जहां कैदियों ने अलग-अलग किरदार निभाए। लेकिन इस बार वानर बने दो कैदियों ने अपने किरदार को कुछ ज्यादा ही गंभीरता से लिया। शुक्रवार, 11 अक्टूबर की रात, जब रामलीला में सीता माता की खोज हो रही थी, तभी वानरों का रोल निभा रहे दो कैदी जेल की बाउंड्री फांदकर सचमुच गायब हो गए। रामलीला की आड़ में यह घटना जेल प्रशासन के लिए किसी रामायण के युध्दकांड से कम नहीं रही!
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वानर बने कैदी… बने फरार ‘हीरो’
इस बार रामलीला के मंचन में भगवान राम की सेना के वानर बनने का काम दो कैदियों को दिया गया था। ये ‘वानर’ कोई साधारण बंदर नहीं थे! मौका मिलते ही दोनों ने जेल की ऊंची दीवार को सीढ़ी के सहारे पार किया और असली रामलीला के किरदार बन गए। जब रामलीला खत्म हुई, तब तक ये वानर वापस नहीं लौटे। गिनती के दौरान जेल कर्मियों को पता चला कि दो कैदी गायब हैं, जिनकी पहचान पंकज (रुड़की) और रामकुमार (गोंडा) के रूप में हुई।
सीढ़ी बनी फरार होने का ‘रामबाण’
इन दोनों कैदियों ने जेल की बाउंड्री पार करने के लिए जो तरीका अपनाया, वो किसी फिल्मी सीन से कम नहीं था। जेल में चल रही हाई सिक्योरिटी बैरक के निर्माण कार्य के दौरान मौजूद सीढ़ी को देखकर दोनों वानर बने कैदियों ने इसे ही अपना भगौड़ा हथियार बना लिया। सीढ़ी के सहारे, दोनों ने अपनी आजादी की उड़ान भरी और गायब हो गए। अब इनका ‘सीता माता की खोज’ तो बस बहाना था, असली मकसद तो अपनी ही खोजबीन से बचकर भागना था।
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कौन हैं ये फरार वानर?
फरार हुए इन दोनों कैदियों की ‘कहानी’ भी किसी बॉलीवुड थ्रिलर से कम नहीं है। पंकज मर्डर केस में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था, वहीं रामकुमार किडनैपिंग के मामले में जेल की हवा खा रहा था। अब दोनों ने जेल प्रशासन को ऐसी हवा खिलाई कि वो खुद ही पसीने-पसीने हो गया है।
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गिनती में मिली कमी फिर मचा हड़कंप

जेल के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक, जब रामलीला खत्म होने के बाद कैदियों की गिनती की गई, तो दो कैदी कम निकले। ये बात सुनते ही प्रशासन का चैन और सुकून दोनों ही गायब हो गए। पहले तो जेल के हर कोने की तलाशी ली गई, लेकिन इन वानरों का कोई सुराग नहीं मिला। बाद में सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए, मगर वहां भी कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिले। अंत में, एक कैदी ने जांच में खुलासा किया कि दोनों ने सीढ़ी का सहारा लेकर जेल से भागने की योजना बनाई थी।
परोल पर गए कैदी भी गायब, प्रशासन की नींद उड़ी
इस घटना से पहले, जेल प्रशासन की एक और मुसीबत सामने आई थी। कोविड-19 के दौरान सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर कई कैदियों को परोल दिया गया था, लेकिन समस्या यह है कि अब वो कैदी लौटकर जेल आना ही भूल गए हैं! जेल प्रशासन ने जब यह महसूस किया कि उनके परोल पर गए ‘मेहमान’ वापस नहीं आ रहे, तब जाकर सभी जिलों के एसएसपी और जेल सुपरिटेंडेंट को जानकारी दी गई। अब जेल अधिकारियों का संकट का दौर शुरू हो गया है, क्योंकि इन ‘परोल महारथियों’ का पता लगाना भी एक नई चुनौती है।
रामलीला या कैदी लीला?
हरिद्वार जेल की इस रामलीला में असली नाटक तो तब हुआ, जब वानरों का किरदार निभाने वाले कैदी खुद ही बंदरगिरी करते हुए फरार हो गए। अब जेल प्रशासन इस भगदड़ को संभालने की कोशिश में जुटा है, लेकिन कैदी रामायण की यह लीला उनके लिए कभी न भूलने वाली याद बन गई है।