Assembly Election Results: हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव (Haryana and Jammu and Kashmir Assembly elections) के नतीजे आ चुके हैं, जिनमें मतदाताओं ने आश्चर्यजनक फैसले सुनाते हुए दोनों ही स्थानों पर विजेताओं को निर्णायक बढ़त दी है। हरियाणा में भाजपा (BJP) ने जीत की हैट्रिक की ओर कदम बढ़ाया है, जबकि जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) और कांग्रेस (Congress) गठबंधन सत्ता में वापसी कर रहा है।
हरियाणा में भाजपा का शानदार प्रदर्शन
हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभरकर सामने (Haryana BJP Win) आई है। शुरुआती रुझानों में कांग्रेस ने बढ़त बनाई थी, लेकिन धीरे-धीरे भाजपा ने बढ़त हासिल की और अब वह 90 सदस्यीय विधानसभा में 50 सीटों पर आगे चल रही है। भाजपा ने लगातार तीसरी बार सत्ता में वापसी का रास्ता साफ कर दिया है। बीजेपी के इस प्रदर्शन का श्रेय पार्टी की चुनावी रणनीति और आरएसएस की जमीनी स्तर पर मेहनत को दिया जा रहा है। आरएसएस ने हरियाणा में चार महीने के भीतर 16,000 से अधिक छोटी सभाएं कीं, जिससे गैर-जाट मतदाताओं को अपनी ओर खींचने में सफलता मिली। भाजपा ने ओबीसी समुदाय को गोलबंद करने में भी कामयाबी पाई, खासकर नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाकर इस वर्ग में सकारात्मक संदेश भेजा।
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कांग्रेस की उम्मीदों पर फिरा पानी
कांग्रेस को हरियाणा में सत्ता में वापसी की उम्मीद थी, लेकिन पार्टी 35 सीटों पर ही सिमट कर रह गई। हालांकि, पिछली बार की तुलना में यह सात सीटों की बढ़त है, लेकिन सरकार बनाने के लिए आवश्यक 46 सीटों से यह काफी कम है। कांग्रेस के भीतर कलह की खबरें भी इस प्रदर्शन पर असर डाल सकती हैं, हालांकि पार्टी नेताओं का कहना है कि मतभेद हो सकते हैं, लेकिन एकता बरकरार है। कांग्रेस के प्रमुख चेहरों में विनेश फोगाट भी शामिल रहीं, जिन्होंने जुलाना सीट 6,015 मतों के अंतर से जीत ली। उनकी जीत कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है, लेकिन समग्र परिणाम पार्टी के लिए निराशाजनक रहे हैं।
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जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस की वापसी
जम्मू-कश्मीर में, जहां 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव हुए, नेशनल कॉन्फ्रेंस ने बड़ी जीत दर्ज की। फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) के नेतृत्व में नेकां ने 51 में से 41 सीटों पर जीत दर्ज की है और एक पर आगे चल रही है। कांग्रेस ने 32 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उसे केवल 6 सीटें ही मिल पाई हैं। जम्मू-कश्मीर में भाजपा ने 29 सीटों पर अपनी बढ़त बनाई है, लेकिन सत्ता में वापसी के लिए यह पर्याप्त नहीं है। नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन ने निर्णायक रूप से अपनी स्थिति मजबूत कर ली है और अब उमर अब्दुल्ला फिर से मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभालने के लिए तैयार हैं।
लोकसभा के बाद पहला बड़ा चुनाव, एग्जिट पोल साबित हुए गलत
जून 2024 में हुए लोकसभा चुनाव के बाद यह पहला बड़ा विधानसभा चुनाव था, जिसमें एग्जिट पोल (Exit Poll) की भविष्यवाणियां गलत साबित हुईं। भाजपा के लिए हरियाणा में यह जीत लोकसभा के बाद की निराशा को दूर करने में मददगार साबित हुई है। वहीं, कांग्रेस को उम्मीद थी कि वह लोकसभा के प्रदर्शन को विधानसभा में दोहरा सकेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के सहारे सत्ता में वापसी का रास्ता बना लिया है, लेकिन वहां भी पार्टी का व्यक्तिगत प्रदर्शन कमजोर रहा।
बीजेपी की रणनीति ने हरियाणा में किया काम
हरियाणा में बीजेपी की जीत को लेकर राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि मुख्यमंत्री बदलने की रणनीति पार्टी के पक्ष में रही। नायब सिंह सैनी के ओबीसी समुदाय से आने के कारण इस वर्ग में भाजपा को बड़ा समर्थन मिला। बीजेपी ने गैर-जाट मतदाताओं को भी अपने पक्ष में करने में कामयाबी पाई, जिससे वह सत्ता में वापसी कर पाई।
जम्मू-कश्मीर में उमर अब्दुल्ला की वापसी
जम्मू-कश्मीर में उमर अब्दुल्ला की वापसी नेशनल कॉन्फ्रेंस के लिए बड़ी सफलता साबित हुई है। 2009-2014 तक मुख्यमंत्री रहे उमर अब एक बार फिर से इस पद पर काबिज होने के लिए तैयार हैं। उमर अब्दुल्ला ने कहा, “जो लोग पिछले पांच सालों से नेशनल कॉन्फ्रेंस को खत्म करने की कोशिश कर रहे थे, वे आज के परिणामों के बाद खुद खत्म हो गए हैं।”
हरियाणा में भाजपा और कश्मीर में NC की निर्णायक बढ़त
हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनावों ने देश की राजनीति को एक नई दिशा दी है। हरियाणा में भाजपा की जीत से स्पष्ट हो गया है कि पार्टी ने गैर-जाट और ओबीसी मतदाताओं को अपनी ओर खींचने में सफलता पाई है। वहीं, जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस की वापसी और उमर अब्दुल्ला का मुख्यमंत्री पद पर दोबारा आना, राज्य की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकता है।
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