Jammu and Kashmir Election Results: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव 2024 में नेशनल कांफ्रेंस (NC) और कांग्रेस (Congress) गठबंधन ने बड़ी जीत की ओर कदम बढ़ा लिए हैं। ताजा रुझानों के मुताबिक, यह गठबंधन 47 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। इस बीच, नेशनल कांफ्रेंस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने बड़ा बयान देते हुए घोषणा की है कि उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) जम्मू-कश्मीर के अगले मुख्यमंत्री होंगे।
नेशनल कांफ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन की बढ़त
चुनाव में दोपहर 2 बजे तक के आंकड़ों के अनुसार, एनसी और कांग्रेस का गठबंधन 47 सीटों पर आगे चल रहा है, जो उन्हें सरकार बनाने के लिए पर्याप्त बहुमत दिलाने की स्थिति में है। भाजपा 29 सीटों पर आगे है, जबकि पीडीपी सिर्फ 4 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। अन्य दलों और निर्दलीय उम्मीदवार 10 सीटों पर आगे चल रहे हैं। यह चुनाव जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक तस्वीर बदलने वाला साबित हो सकता है, क्योंकि यह पहला चुनाव है जिसमें अनुच्छेद 370 (Article 370) हटने के बाद राज्य का विशेष दर्जा खत्म कर दिया गया था। ऐसे में नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस की जीत केंद्र सरकार के फैसलों के खिलाफ जनता की राय को भी दर्शाती है।
फारूक अब्दुल्ला का बड़ा बयान: उमर होंगे मुख्यमंत्री
नेशनल कांफ्रेंस के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने चुनावी नतीजों के बीच एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने घोषणा की है कि अगर एनसी और कांग्रेस गठबंधन सरकार बनाता है, तो उमर अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री होंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी राज्य के विशेष दर्जे की बहाली की लड़ाई को आगे भी जारी रखेगी।

फारूक अब्दुल्ला ने कहा, “यह (राज्य का दर्जा बहाल करना) हमारे लिए बेहद जरूरी है। हम उम्मीद करते हैं कि इंडिया गठबंधन हमारे साथ मिलकर इस मुद्दे पर लड़ाई लड़ेगा ताकि जल्द से जल्द जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा वापस मिल सके।” उनका यह बयान साफ तौर पर केंद्र सरकार की उस नीति के खिलाफ है, जिसने जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा खत्म कर उसे केंद्र शासित प्रदेश बनाया था।
राज्य का दर्जा बहाली का मुद्दा फिर से जोर पकड़ रहा
नेशनल कांफ्रेंस ने इस चुनाव में मुख्य रूप से राज्य के विशेष दर्जे की बहाली और अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर प्रचार किया। फारूक अब्दुल्ला के इस बयान से स्पष्ट होता है कि यह मुद्दा भविष्य में भी उनकी पार्टी की प्राथमिकता बना रहेगा। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर की पहचान और उसकी स्वायत्तता को बहाल करना उनकी पार्टी का प्रमुख लक्ष्य है।
बीजेपी को मिल रही चुनौतियां

इस चुनाव में बीजेपी ने भी काफी मेहनत की थी, लेकिन मौजूदा रुझान बताते हैं कि पार्टी अपनी उम्मीदों के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाई है। 29 सीटों पर बढ़त होने के बावजूद बीजेपी गठबंधन सरकार बनाने की स्थिति में नहीं दिख रही है। यह परिणाम केंद्र सरकार के फैसलों पर जनता की असहमति का संकेत भी हो सकता है। वहीं, उमर अब्दुल्ला की बतौर मुख्यमंत्री वापसी की संभावना जम्मू-कश्मीर की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकती है। उमर अब्दुल्ला ने पिछले कुछ समय से राजनीति में सक्रिय रूप से भाग नहीं लिया था, लेकिन इस चुनाव के दौरान उन्होंने अपनी पार्टी का नेतृत्व बखूबी किया। उनके नेतृत्व में नेशनल कांफ्रेंस ने एक मजबूत प्रदर्शन किया है, जिससे उनकी राजनीतिक स्थिति और अधिक मजबूत हो गई है।
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नई सरकार के साथ नए सवाल
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के परिणाम न सिर्फ राज्य की राजनीति, बल्कि केंद्र सरकार की नीतियों के लिए भी एक संदेश हैं। नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन की बढ़त राज्य के विशेष दर्जे की बहाली के मुद्दे को एक बार फिर से केंद्र में ला रही है। फारूक अब्दुल्ला का यह बयान कि उमर अब्दुल्ला मुख्यमंत्री होंगे, राज्य की नई सरकार के गठन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। अब देखना यह होगा कि क्या एनसी और कांग्रेस गठबंधन अपने चुनावी वादों को पूरा कर पाता है और किस तरह से राज्य का दर्जा बहाली का मुद्दा आगे बढ़ाया जाएगा।