Muslim Marriage Act: उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को विधानसभा से हरी झंडी मिल चुकी है.अब इसके बाद असम सरकार ने भी इसी दिशा में अपना पहले कदम आगे बढ़ाया है. सीएम हेमंत बिस्वा की कैबिनेट ने एक अहम फैसला लिया है. हेमंत बिस्वा की कैबिनेट ने मुस्लिम मैरिज और डिवोर्स एक्ट 1930 को खत्म करने का फैसला लिया है. कैबिनेट से इस प्रस्ताव को मंदूरी भी मिल गई है.
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सभी शादियां स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत की जाएंगी
बता दे कि इसके तहत अब सभी शादियां स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत की जाएंगी. राज्य में अब मुस्लिम विवाह और तलाक का रेजिसेट्रेशन कराना संभव नही होगा. हेमंता बिस्वा सरमा की कैबिनेट ने फैसला लिया है कि मुस्लिम मैरिज और डिवोर्स एक्ट के मामलों से जुड़े 94 लोगों को एकमुश्त 2 लाख रुपये का मुआवजा मिलेगा.दरअसल, असम सरकार ने बहुविवाह रोकने के लिए कानून बनाने की तैयारी काफी पहले से ही की थी, इसके लिए राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के रिटायर जज वाली एक स्पेशल कमिटी का भी गठन किया था.
राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में लगी मुहर
सीएम हिमंत बिस्व सरमा की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान इस पर मुहर लग गई है. कैबिनेट मंत्री जयंत बरुआ ने इसे समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की दिशा में एक बड़ा कदम बताया. इसके साथ ही उन्होंने कहा, “हमारे मुख्यमंत्री ने पहले ही घोषणा की थी कि असम एक समान नागिक संहिता लागू करेगा. आज हमने मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण कानून को निरस्त करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है.”
हिमंत बिस्वा सरमा ने किया एक पोस्ट
इसी कड़ी में आगे सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, “23.2.2024 को, असम कैबिनेट ने सदियों पुराने असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम को निरस्त करने का एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया. इस अधिनियम में विवाह पंजीकरण की अनुमति देने वाले प्रावधान शामिल थे, भले ही दूल्हा और दुल्हन 18 और 21 वर्ष की कानूनी उम्र तक नहीं पहुंचे हों, जैसा कि कानून में जरूरी है. यह कदम असम में बाल विवाह पर रोक लगाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है.
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